मध्यप्रदेश में बीजेपी के जीतने पर शिवराज सिंह नहीं, ये चेहरा होगा सीएम पद का प्रवल दावेदार!
मध्यप्रदेश में हो रहे चुनाव में इस बार शह और मात का खेल विरोधी दलों के बीच नही बल्कि सत्ताधारी दल भाजपा में खेला जा रहा है .यह खेल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बीच हो रहा है। लाख कोशिशों के बाद भी कैलाश विजयवर्गीय को शिवराज सिंह चौहान चुनाव में नहीं उलझा सकें।यदि सब कुछ सही रहा और बीजेपी को बहुमत मिला तो तो कैलाश विजयवर्गीय बिना विधानसभा का चुनाव लड़े मुख्यमंत्री की कुर्सी संभल सकते हैं l इस बार अपनी जीती हुई महू सीट छोड़ कर उन्होंने अपने पुत्र आकाश विजयवर्गीय के लिए तीन नंबर विधानसभा से टिकट ले लिया। उनके इस कदम से सबसे ज्यादा परेशान शिवराज सिंह ही है।
बीजेपी में क्योंकि कैलाश विजयवर्गीय का फ्री होना शिवराज सिंह के लिए चौथी बार सीएम की कुर्सी तक पहुंचने में रोड़ा की वजह बन सकते है।दरअसल 2008 में शिवराज ने अपने इस प्रतिद्वंदी नेता को महू जैसी मुश्किल सीट पर भेज कर उन्हें बांध दिया था।विजयवर्गीय के लिए यह क्षेत्र नया था और महज 15 दिन ही तैयारियों के लिए मिला।ऐसे में वे इस क्षेत्र से बाहर नहीं निकल सके। जबकि उस समय विजयवर्गीय करीब 60 से ज्यादा सीटो पर प्रचार करने का प्लान तैयार किया था। 2013 में भी उन्हें महू सीट से ही चुनावी मैदान में शिवराज सिंह ने उतारा।यह विजयवर्गीय का ही प्रबंधन कौशल था कि दोनों चुनाव में जीत हासिल की। वह भी कांग्रेस के गढ़ में जो कांग्रेस की सबसे मजबूत सीटों में गिनी जाती थी।
इस बार भी शिवराज सिंह ने उन्हें घेरने की कोशिश की लेकिन विजयवर्गीय ने पहले ही सारा प्लान तैयार कर लिया था। वैसे भी कैलाश विजयवर्गीय को सियासत का एक चतुर नेता माना जाता है।विपरीत परिस्थितियों को भी अपने अनकूल करना इस नेता का आता है। जब प्रदेश की राजनीति से उनकी बिदाई शिवराज सिंह ने कराई तो खुद शिवराज को भी भान नहीं था कि तीन साल में बाजी पलटने वाली है। राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद विजयवर्गीय ने अपने आपको प्रदेश की राजनीति से दूर तो कर लिया लेकिन अपनी पकड़ को कमजोर नहीं पड़ने दिया। जैसे ही शिवराज कमजोर पड़े फिर से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो गए।
कैलाश विजयवर्गीय का चुनाव न लड़ना ऊपरी रूप से शिवराज सिंह की दांव माना जा रहा है, लेकिन राजनीति प्रेक्षको का कहना है कि विधानसभा चुनाव न लड़ने का उनका फैसला शिवराज सिंह की असल चुनौती है। अब कैलाश विजयवर्गीय भाजपा के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत के लिए काम करेंगे।दूसरी बात प्रदेश के सत्ता सिहासन की दौड़ में भी शिवराज के बराबर खड़े हो गए है। यदि भाजपा को सत्ता में आने जितने विधायक जीत कर आए तो भाजपा में मुख्यमंत्री का चेहरा विजयवर्गीय हो सकते है। वैसे भी केंद्रीय नेतृत्व ने अभी तक शिवराज को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बताया है।