भोपाल।अवैध रेत खनन के लिये देश भर में बदनाम हो जाने के बाद मध्यप्रदेश के मुखिया ने अपने मंत्रियों को एक अहम काम सौंपा है।यह काम है-अवैध रेत खनन रोकने के उपाय बताना। मंत्रियों को साथ में यह भी बताना होगा कि जो पैसा माफिया के घर जा रहा है वह सरकार के खजाने में कैसे आये ?
यह काम शिवराज के 6 मंत्री मिलकर करेंगे।इन मंत्रियों के नाम हैं-सार्वजनिक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव,गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा,वनमंत्री विजय शाह,खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और नवीन ऊर्जा मंत्री हरदीप डंग।इन मंत्रियों को अगले महीने की आखिरी तारीख तक अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को देनी होगी।
सरकारी सूत्रों के मुताविक मंत्रीगण रेत के खनन से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करके अपने सुझाव देंगे।इनके सुझावों के आधार पर नई खनन नीति बनेगी।
उल्लेखनीय है कि 15 साल से मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठे शिवराज सिंह चौहान के लिए प्रदेश में अवैध खनन रोकना सबसे बड़ी चुनौती रही है।शिवराज की समस्या यह रही है कि अवैध खनन रोकने के लिए उन्होंने जितनी बड़ी बड़ी घोषणायें की उतनी ही तेजी से अवैध खनन बढ़ा।प्रदेश की जीवनदायिनी कही जाने वाली नर्मदा सबसे ज्यादा शोषण की शिकार है।मुख्यमंत्री खुद को नर्मदा का पुत्र बताते हैं।नर्मदा के लिये कुछ भी करने को उद्यत रहते हैं।पिछले कार्यकाल में नर्मदा की लंबी यात्रा भी उन्होने की थी।बड़ा सरकारी आयोजन उनके पैतृक गांव जैत में हुआ था।खुद मुख्यमंत्री उस कार्यक्रम के यजमान थे।
लेकिन दूसरा पक्ष यह है कि आज भी नर्मदा में अवैध खनन हो रहा है।कानून के मुताविक नर्मदा नदी से रेत निकालने का काम मशीनों से नही किया जा सकता है।लेकिन आज भी सैकड़ों मशीनें नर्मदा का सीना छलनी कर रही हैं।यह रेत मुख्यमंत्री के गृह जिले और चुनाव क्षेत्र के भीतर से निकल कर राज्य के अन्य हिस्सों में जाती है। सब देखते हैं।बातें करते हैं।लेकिन रोकता कोई नही है।अब तो नर्मदा एक बड़ी कमाई का जरिया बन गयी है।प्रदेश तो क्या देश के अन्य राज्यों के व्यापारी भी इस कारोबार में उतर आए हैं।खुद मुख्यमंत्री के करीबी नर्मदा की रेत पर ही अमरबेल की तरह फले फूले हैं।अभी भी फल फूल रहे हैं।
नर्मदा के अलाबा राज्य की अन्य प्रमुख नदियां भी अवैध खनन की शिकार हैं।नर्मदा के बाद चंबल में सबसे ज्यादा अवैध खनन हो रहा है।रोज खबरें आती हैं कि रेत माफिया ने सरकारी अमले को पीट दिया।लगभग हर जिले की नदियां खोदी जा रही हैं।लेकिन सरकार कोई कारगर कदम नही उठा पा रही है।
ऐसा नही है कि शिवराज के राज में ही नदियों में अवैध खनन हो रहा है।कांग्रेस के 15 महीने के शासन में नदियों का दोहन भरपूर हुआ।कांग्रेस के कुछ नेताओं ने तो इस छोटी सी अवधि में ही सात पुश्तों के लिए बंदोबस्त कर लिया है।
सबसे हास्यास्पद बात यह है कि अवैध खनन की हर बारीकी को जानने वाले मुख्यमंत्री मंत्रियों से यह जानना चाहते हैं अवैध खनन कैसे रोका जाए।और रेत खनन से सरकार की आमदनी कैसे बढ़ाई जाए। मंत्री यह भी बताएंगे कि वैध तरीके के जरिये अवैध कमाई करने वाले रेत के ठेकेदारों की नकेल कैसे कसी जाए।
इसके अलाबा मंत्रीगण जो भी बताना चाहे बता सकते हैं।एक खास मुद्दा यह भी होगा कि पेट्रोल के दामों से मुकाबला कर रहे रेत के दामों को कम कैसे किया जाए।देखना यह होगा कि सरकार का राजस्व बढ़ाने के लक्ष्य को लेकर बनी समिति जनता को राहत पहुंचाने का क्या उपाय बताएगी।
मंत्रियों की समिति 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देगी। यह भी रोचक बात है कि अपने चौथे कार्यकाल में शिवराज मंत्रियों को बहुत काम दे रहे हैं।वे लगभग हर अहम मुद्दे पर मंत्रियों के समूह बना रहे हैं।यह अलग बात है कि अभी तक किसी भी मंत्री समूह की सिफारिशें सार्वजनिक नही हुई हैं।देखना यह है कि रेत के खेल को रोकने के लिए मंत्रीगण क्या उपाय बताते हैं।