मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे राजगढ़ जिले में एक बेहद असंवेदनशील मामला सामने आया है. यहां एक रेप पीड़िता के मामले में गांव के पंचों ने तुगलकी फरमान सुनाया है. जिले के नरसिंहगढ़ ब्लॉक के डूंगरपुरा गांव में चार महीने पहले हुए एक किशोरी से रेप मामले में पंचों ने पीड़िता के शुद्धिकरण के लिए उसके परिवार को भंडारा कराने का आदेश दिया है.
रेप करने वाला छोटी जाति का इसलिए शुद्धिकरण
रेप का आरोपी नीची जाति का है, इसलिए पीड़िता को शुद्धिकरण कराने का फरमान सुनाया गया है. जब तक शुद्धिकरण नहीं करवाया जाता तब तक उसके परिवार का समाज से बहिष्कार कर दिया गया है. इस अजीबोगरीब फैसले से पीड़ित परिवार परेशान है. परिवार को न तो सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाया जा रहा है और न ही कोई उनके घर में किसी कार्यक्रम में शामिल हो रहा है. ऐसे में पीड़िता के माता-पिता ने राजगढ़ पहुंचकर अधिकारियों से इंसाफ की गुहार लगाई. गांववालों के इस अजीब फैसले की शिकायत मानवाधिकार आयोग में भी की गई है.
चार महीने पहले हुआ था रेप
दरअसल नरसिंहगढ़ के डूंगरपुरा गांव में 17 साल की नाबालिग लड़की को गांव के ही सियाराम नाम के शख्स ने हवस का शिकार बनाया था. जिसकी रिपोर्ट पीड़ित परिवार ने पुलिस में की थी. वारदात के लगभग 8 दिन बाद एफआईआर के बाद आरोपी को गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया. लेकिन समाज ने लड़की की शुद्धि के लिए अजीब फरमान सुनाया. जिसमें उन्हें गांव में भंडारा कराने के लिए कहा गया है.
आस-पास के गांव से भी आए लोग
इस फरमान के लिए समाज के गांव के ही नहीं बल्कि आसपास के ग्रामीण भी जुटे. सभी ने लिखित में यह पंचनामा तैयार किया. जिस पर पीड़िता के माता-पिता के भी हस्ताक्षर कराए गए. लेकिन परिवार गरीब होने के कारण अभी तक भंडारा नहीं करा पाया. ऐसे में पीड़ित परिवार का गांव के साथ ही आस-पास के लोगों ने बहिष्कार कर दिया है. हाल ही में एक आयोजन पीड़ित परिवार के घर भी हुआ, जिसका कार्ड भी गांव के किसी व्यक्ति ने नहीं स्वीकार किया.