संयुक्त किसान मोर्चा ने राजभवन पर किया चेतावनी मार्च, यादगारे शहाजहानी पार्क से निकाला मार्च : पुलिस ने नीलम पार्क पर रोका
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में संयुक्त किसान मोर्चा, मध्यप्रदेश से संबद्ध किसान संगठनो से जुड़े हजारों किसानों ने यादगारे शहाजहानी पार्क में में सभा कर राजभवन की ओर मार्च शुरू किया जिसे नीलम पार्क पर पुलिस द्वारा रोका गया। किसानों का कहना था कि किसान संघ के किसानों से मुख्यमंत्री मिल सकते है तो किसान संगठनो से क्यों नहीं ?
पुलिस अधिकारियों को किसानों ने ज्ञापन देने से इंकार कर दिया और सड़क पर धरना शुरू कर दिया , तब किसानों के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को पुलिस अधिकारियों द्वारा राजभवन ले जाकर ज्ञापन दिलवाया।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आज 26 नवंबर को संविधान दिवस पर राष्ट्रव्यापी "राजभवन मार्च"आयोजित करने और संबंधित राज्यपालों के माध्यम से "भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन" सौंपने का आह्वान किया था ,जिसके तहत देश की सभी राजधानियों में राजभवनो पर प्रदर्शन किया गया।
राष्ट्रपति को राज्यपाल के माध्यम से भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर सभी फसलों के लिए सी2+50 फीसदी के फार्मूला से एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए। केन्द्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति व उसका घोषित ऐजेंडा किसानों द्वारा प्रस्तुत मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर, एमएसपी पर सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए, किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, केंद्र सरकार के वादे के अनुसार एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल कर, एमएसपी पर एक नई समिति का पुनर्गठन किया जाए।
खेती में बढ़ रहे लागत के दाम और फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं मिलने के कारण 80 फीसदी से अधिक किसान भारी कर्ज में फंस गए हैं, और आत्महत्या करने को मजबूर हैं। ऐसे में, आपसे निवेदन है कि सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ किए जाएं।
बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे पत्र में यह लिखित आश्वासन दिया था कि, "मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा।" इसके बावजूद, केंद्र सरकार ने बिना कोई विमर्श के यह विधेयक संसद में पेश किया।
लखीमपुर खीरी जिला के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए।
लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जो निर्दोष किसान जेल में कैद हैं, उनको तुरन्त रिहा किया जाए और उनके ऊपर दर्ज फर्जी मामले तुरन्त वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने का सरकार अपना वादा पूरा करे।
सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि, फसल संबंधी बीमारी, आदि तमाम कारणों से होने वाले नुकसान की पूर्ति के लिए सरकार सभी फसलों के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा लागू करे।
सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को ₹5,000 प्रति माह की किसान पेंशन की योजना लागू की जाए।
किसान आन्दोलन के दौरान भाजपा शासित प्रदेशों व अन्य राज्यों में किसानों के ऊपर जो फर्जी मुकदमे लादे गए हैं, उन्हें तुरंत वापस लिया जाए।
किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए, और शहीदों किसानों के लिए सिंघु मोर्चा पर स्मारक बनाने के लिए भूमि आवंटन का आवंटन किया जाए।
मध्यप्रदेश के किसान तथा आदिवासी, खेत मजदूर भूमि, एवं पर्यावरण से जुड़े संगठनो की ओर से राज्यपाल को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। राज्यों के मुद्दों को ज्ञापन में निम्नलिखित मुद्दों पर शासन को निर्देश एवं परामर्श देने का अनुरोध करते हुए कहा गया कि बेमौसम की बारिश तथा सामान्य से कम बारिश से प्रभावित हुए किसानों को उनकी फसल के नुक्सान की भरपाई करने लायक राशि का मुआवजा दिया जाए और इसके आंकलन के लिए खेत को इकाई मानकर आंकलन किया जाए। पहले रोकी जा चुकी अटल एक्सप्रेस वे की चंबल क्षेत्र से गुजरने वाली परियोजना को पुनः प्रारम्भ करने का विचार त्यागा जाए। इस बारे में गुपचुप तरीके से, बिना किसानो को सूचित किये किया जाने वाला सर्वे रोका जाए। इस सर्वे की वजह से आहत हुए श्योपुर के किसान की मृत्यु पर उसके परिजनों को 1 करोड़ रुपया मुआवजा दिया जाए। पूरे प्रदेश में व्याप्त खाद संकट से किसानों को निजात दिलाने के लिए (अ) आवश्यकता से पहले ही पर्याप्त मात्रा में खाद का भंडार उपलब्ध रखा जाए, (ब) कालाबाजारी पर सख्ती से रोक लगाई जाए , (स) समितियों और निजी व्यापारियों के माध्यम से खाद बिक्री का पुराना अनुपात 70;30 बहाल किया जाए, (द) खाद की मनमानी दरों पर रोक लगाकर सस्ता खाद उपलब्ध कराया जाए.
प्रदेश में आवारा पशुओं ने फसल तबाह कर किसानों की जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया है। इस आपदा की रोकथाम के लिए (अ) प्रत्येक गौपालक किसान को प्रति माह 1000 रूपये प्रति गाय सहायता राशि दी जाए, (ब) पशु व्यापार पर लगी रोक हटाई जाए और पशु व्यापारियों पर कथित गोरक्षकों के हिंसक हमलों पर सख्त कार्यवाही की जाए, (स) गौशालाओं में अकल्पनीय भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों को दंडित किया जाए।
किसान सम्मान निधि से वंचित किसानो को उसमें शामिल किया जाए तथा उन्हें एरियर सहित भुगतान किया जाए। निधि की राशि बढ़ाकर दो गुनी की जाए।
बिजली बिलों के नाम पर लूट बंद कर किसानो को मुफ्त बिजली दी जाए। बिजली विभाग द्वारा बनाए फर्जी मुकदमे बापिस कर उनके बिल माफ किए जाएं।
ड्रोन के जरिये किये जा रहे हवाई सर्वे से भू अभिलेखों का अद्यतनीकरण रोका जाए। भूअभिलेखों के डिजिटलाइजेशन में व्यापत गड़बड़ी और भ्रष्टाचार खत्म किया जाए। पूर्व रिकार्ड में शासकीय मद में दर्ज हजारों एकड़ बेशकीमती भूमियों को मिलीभगत कर निजी भू स्वामी के नाम दर्ज की गई भूमियों की सीबीआई जांच कर कार्यवाही की जाय।
आदिवासियों तथा वनो की जमीन को कारपोरेट कंपनियों को दिए जाने को रोका जाए। खेत मजदूरों की दैनिक मजदूरी बढ़ाते हुए उन्हें कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लिया जाए।
ओबीसी समुदायों की वास्तविक संख्या सुनिश्चित करने के लिए जनगणना की जाए।
किसानों के समस्त कर्जे माफ किए जाएं। बैंक एवं बिजली विभाग द्वारा की जा रही जबरन वसूली पर रोक लगाई जाए। गांव से लगी खेतों को जाने वाली रास्ताओं का खेत सड़क एवं सुदूर सड़क योजना चालू कर प्राथमिकता से रोड निर्माण कराए जाएं। किसानों और खेतिहर मजदूरों को 5000 रूपये प्रति माह किसान पेंशन दी जाए।
शहरों में 24 घंटे बिजली दी जाती है लेकिन किसानों को सिंचाई हेतु पर्याप्त बिजली नहीं दी जा रही है। सरकार ने किसानों को 10 घंटे बिजली देने की घोषणा की थी। लेकिन 6 से 8 घंटे ही बिजली दी जा रही है वह भी आधी रात के समय कंपकंपाती ठंड में। किसानों को सिंचाई के समय 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाए।
छिंदवाड़ा में पेंच व्यपवर्तन परियोजना से प्रभावित 31 गाँव के किसान, जिनकी पूर्णतः या आंशिक भूमि अधिग्रहित की गई है, उन किसानो को सम्पूर्ण मुआवजा प्रदान नही किया गया है। गाँव के किसानों को परिसम्पति का मुआवजा भी नही दिया गया है। किसानों के खेत में जो पेड़़ लगायें गये थे उनका भी मुआवजा नही गया है, विस्थापित परिवार के किसानों के बच्चों को आज दिनांक तक रोजगार उपलब्ध नही कराया गया है। आदिवासी ग्राम जो पेंच व्यपवर्तन परियोजना में पूर्णतः डूब चुके है, एक भी परिवार को जमीन के बदले जमीन उपलब्ध नही कराई गई है। पुर्नवास स्थल पर मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नही है। आदिवासी जिनकी जमीन एवं मकान अधिग्रहित किये गए है उन्हें किसी भी प्रकार का रोजगार भी उपलब्ध नही कराया गया है। पेंच व्यपवर्तन परियोजना से प्रभावित आदिवासी ग्रामों को कोई विशेष पैकेज भी नही दिया गया है, आदिवासी ग्रामों को सबसे कम मुआवजा दिया गया है। परियोजना से प्रभावित किसानों को उनके द्वारा आयकर, स्टांप शुल्क या फीस से भी छुट प्रदान नही की गयी है। परियोजना में एक एक गाँव से लगभग एक एक लाख पेड़ काटे गये हैं, उनके एवज में पेड़़ नही लगाये गए है। परियोजना से प्रभावित किसान प्रतिदिन जिलाधीश कार्यालय में आकर अपनी समस्याओं से जिलाधीश को अवगत करा रहे है, किन्तु उनकी समस्याओं का निदान नही किया जा रहा है। परियोजना से प्रभावित गाँव में लगभग कच्चे मकान बने हुए है, बांध के किनारे होने के कारण नमी बने रहने के कारण मकान गिर रहे है, किन्तु उनका कोई मुआवजा किसानों को नही दिया जा रहा है।
पेंच नदी के किनारे बसे हुए गाँव में मछुवारों का मुख्य व्यवसाय मछली पालन तथा रेत खेती था, पेंच बांध बनने के बाद मछुवारों को रेत खेती का कोई मुआवजा प्रदान नहीं किया गया तथा मछली के ठेका भी छिन्दवाड़ा के मछुवारों को नही दिया गया। युवाओं के पास रोजगार न होने कारण वे अत्यधिक मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, तथा आत्महत्या करने पर मजबुर है
पेंच व्यपवर्धन परियोजना के विस्थापितों को सरदार सरोवर के विस्थापितों की तरह 65लाख रुपए प्रति हेक्टर का मुआवजा प्रदान किया जाए।
पुनर्वास नीति ,2002 अक्षरश: लागू की जाए।
अडानी पेंच पावर प्रोजेक्ट प्रभावित किसानों की अधिग्रहित भूमि किसानों को भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 24(2) के तहत वापस की जाए क्योंकि गत 12 वर्षों से प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया गया है और गत 3 वर्षों से अपनी भूमि पर खेती कर रहे हैं।
बैतूल जिले के मुलताई तहसील में किसानों से व्यापारियों द्वारा पत्ता गोभी 30 पैसे प्रति किलो में खरीदी जा रही है। इस बार किसानों को अतिवृष्टि से 75,000 रूपये प्रति एकड़ की लागत आई है। पत्ता गोभी के किसानों को विशेष पैकेज देकर प्याज की तरह 15 रूपये प्रति किलो की दर पर खरीद की जाए।
बैतूल जिले में चंदोरा बांध की ओपन नहर से सिंचाई की क्षमता 2000 हेक्टेयर है। भूमिगत प्रेशराइज्ड सूक्ष्म सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने से 5000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकती है। इसमें जलाशय के नजदीक के गांव राय आमला, आष्टा, मीरापुर बलेगांव की लगभग 2000 हेक्टेयर की भूमि सिंचित हो सकती है। ओपन नहरों को सूक्ष्म सिंचाई परियोजना में परिवर्तित किया जाए।
मुलताई तहसील के बड़ेगांव बांध और चन्नी मन्नी बांध की नहर क्षतिग्रस्त होने से बरसात भर से लगातार पानी बह रहा है। बांधों की नहरों की मरम्मत की जाए। चन्दोरा बांध के ओवर फलो की स्थिति से बचने के लिए डेम के गेट खोले जाने के कारण ताप्ती नदी में अत्यधिक बाड़ आने से किसानों की उपजाऊ भूमि की फसल और मिट्टी बह गई हैं पूरी भूमि में पत्थर ही पत्थर हो गये है, नालियां पड़ गई है तथा भूमि कृषि करने योग्य नही रही । इससे उन्हें लाखों रूपये की फसल का नुक़सान हुआ है। सम्पूर्ण सम्पत्ति का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। जल संसाधन विभाग के उच्च अधिकारियों से शिकायत करने पर भी कोई राहत राशि नहीं दी गई। पीड़ित किसानों को शीघ्र मुआवजा दिया जाए।
मुलताई सहित प्रदेश के अन्य ब्लाॅक में मनरेगा का काम पिछले 5 माह से ठप्प पड़ा है । मनरेगा श्रमिकों को 500 रूपये प्रतिदिन की दर पर साल भर रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
इटारसी से विजयवाड़ा के बीच बनने वाले फ्रेट कॉरिडोर परियोजना के तहत बैतूल जिले के 88 गांव के सैकड़ों किसानों की उपजाऊ भूमि अधिग्रहित की जा रही है। किसानों की भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए।
सर्वर डाउन होने से राशन उपभोक्ताओं को राशन नहीं मिल पा रहा है। समय पर राशन नहीं मिलने से उन्हें मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। सर्वर डाउन की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए ताकि समय से राशन उपलब्ध हो सके।
प्रदेश के किसी भी किसान परिवार को प्रधानमंत्री सम्मान निधि के 12 किस्तों के 24,000 और मुख्यमंत्री किसान कल्याण निधि के दो वर्ष के 8,000 रूपये की पूरी राशि अभी तक नहीं मिली है। तत्काल 32हजार रुपए की राशि किसानों के खातों में ट्रांसफर की जाए।
प्रदेश के अनेक स्कूलों में म.प्र. साइकिल वितरण योजना के तहत कक्षा 9 वीं से 12वीं की छात्राओं को दो वर्षों से साइकिलें नहीं दी गई है। ग्रामीण छात्राओं को शीघ्र साइकिलें प्रदान की जाए। रीवा में संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में 52 दिनों से चल रहे बसोर समाज के महापड़ाव आंदोलन को लेकर सरकार के ढुलमुल रवैया से नाराज होकर संयुक्त किसान मोर्चा रीवा ने सीएम के रीवा दौरे पर घेराव एलान किया है।
किसानों की सभा का संचालन बादल सरोज- प्रदेश अध्यक्ष,अखिल भारतीय किसान सभा ने किया। डॉ सुनीलम- किसान संघर्ष समिति, एनपीएम, अनिल यादव ,भारतीय किसान यूनियन( टिकैत), अखिलेश यादव -मध्य प्रदेश किसान सभा, जनक राठौर- अखिल भारतीय किसान सभा, एड. शिव सिंह- संयोजक, संयुक्त किसान मोर्चा रीवा संभाग, प्रहलाद दास बैरागी- प्रदेश महासचिव अखिल भारतीय किसान सभा, इरफान जाफरी -किसान जागृति संगठन प्रमुख, सोनू शर्मा- ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन, रामस्वरूप मंत्री- संयोजक किसान संघर्ष समिति मालवा निमाड़ क्षेत्र, बबलू जाधव -भारतीय किसान मजदूर सेना, इंदौर, कमलेंद्र पटेल, दिलीप शर्मा ,किसान क्रांति , -भोपाल ओबीसी महासभा, धर्मेंद्र कुशवाहा- ओबीसी महासभा , रामनारायण कुररिया ,मध्य प्रदेश आदिवासी एकता महासभा,श्रीकांत द्विवेदी ,भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन आदि नेताओं ने किसान मार्च का नेतृत्व किया । समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह , सी पी एम के राज्य सचिव जसविंदर सिंह और सी पी आई के राज्यसचिव शैलेंद्र शैली ने आंदोलन का समर्थन किया।