मध्यप्रदेश में विधानसभा का चुनाव प्रस्तावित है, प्रदेश में दो बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में आमने सामने की लड़ाई है. कांग्रेस पिछले 15 साल से सत्ता से दूर है जबकि बीजेपी लगातार तीन चुनाव से सत्तारूढ़ है. भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से 15 साल पहले सत्ता छीनी थी.
अब कांग्रेस अपने इस पूर्व मुख्यमंत्री को इस बार चुनाव प्रचार से दूर रखना चाहती है. यह बात काग्रेस ने नहीं खुद दिग्विजय सिंह ने स्वीकार की है. उन्होंने कहा है कि मेरे प्रचार करने से कांग्रेस चुनाव हार जाती है तो मैं नहीं करूंगा. उनका इतना कहना मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बहुत बड़ी बात है.
दिग्विजय सिंह राजघराने परिवार से आते हैं और मध्य प्रदेश में राजघरानों की सत्ता में हमेशा दखलअंदाजी है. कांग्रेस ग्वालियर राजघराने परिवार से आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ज्यादा फोकस कर रही है और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को ज्यादातर तरजीह दे रही है.
दिग्विजय ने कहा है हमारे प्रचार करने से हार जाती है तो मैं प्रचार बिल्कुल नहीं करूंगा ना ही चुनाव के दौरान कोई वक्तव्य दूंगा. दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के एक कुशल राजनेता है. चुनाव में उनकी हमेशा एक बड़ी .भूमिका रहती है मेरा मानना है कि दिग्विजय का चुप रहना भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है. चूँकि कांग्रेस दिग्विजय के बेटे को विधानसभा का चुनाव लडाएगी इसलिए दिग्विजय इस चुनाव में चुप रहने में अपनी भलाई समझते हैं.
तीनों चुनाव में पहली बार कांग्रेस को इस बार जनता का समर्थन काफी ज्यादा मिलता प्रतीत हो रहा है. जबकि सर्वे के मुताबिक कांग्रेस बीजेपी से आगे निकलती प्रतीत हो रही है. हालांकि जीत और हार तो परिणाम के बाद क्लियर होगी लेकिन इतना कहना है कि बीजेपी के लिए फिलहाल जीतना मुश्किल दिखाई दे रहा है जबकि कांग्रेस अपनी पूरी दमखम से चुनाव लडती नजर आ रही है. अब देखना होगा दिग्विजय की चुप्पी कांग्रेस को राज सिंहासन दिलाती है या फिर पहले की तरह सत्ता से कोसों दूर?