ज्योतिरादित्य सिंधिया को झटका, BJP छोड़ कांग्रेस में लौटेंगे ये बड़े नेता
ग्वालियर. ग्वालियर के पुराने खांटी नेता औऱ पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ल बीजेपी छोड़कर फिर कांग्रेस में लौट रहे हैं. बीजेपी में अपनी अनदेखी से नाराज़ शुक्ल की कांग्रेस में घर वापसी हो रही है. ये बीजेपी और सिंधिया दोनों के लिए बड़ा झटका है. शुक्ल ग्वालियर चंबल में ब्राह्मणों का चेहरा हैं और स्व. माधवराव सिंधिया के बाल सखा रहे. वो अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा और दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में 13 साल तक मंत्री रहे.
ग्वालियर चंबल के पुराने खाटी नेता बालेंदु शुक्ल ने बीजेपी को झटका दे दिया है. वो कांग्रेस में लौट रहे हैं. चर्चा है कि वो ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट से उप चुनाव लड़ सकते हैं. बालेन्दु शुक्ल ग्वालियर जिले से विधायक रहे हैं और अंचल में ब्राह्मणों का बड़ा चेहरा हैं. वो ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्व. माधवराव के घनिष्ठ मित्र रहे हैं. लेकिन बाद में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. वो कुछ समय BSP में भी रहे. शुक्ल BJP में अपनी अनदेखी के कारण नाराजगी भी जाहिर कर चुके थे.
बालेंद्र शुक्ल का राजनीतिक सफर...
बालेंदु शुक्ला ने सन 1980 से 2003 के बीच कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े.इसमें तीन चुनाव जीते वहीं तीन में हार का सामना करना पड़ा. 1980 से 1998 के बीच ग्वालियर की गिर्द विधानसभा सीट( वर्तमान भितरवार सीट ) से 5 चुनाव लड़े जिनमें तीन बार वो जीते और दो बार पराजित हुए. बालेंदु ने कांग्रेस के टिकट पर आखिरी चुनाव ग्वालियर विधानसभा सीट से BJP के नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ 2003 में लड़ा था जिसमें उन्हें 35 हज़ार वोट से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी.
1- 1980 में गिर्द विधानसभा सीट से बीजेपी के श्याम बिहारी मिश्रा को 9262 वोट से हराया.
2- 1985 में गिर्द विधानसभा सीट से BJP के पूरन सिंह को 10894 वोट से हराया.
3- 1990 में गिर्द विधानसभा सीट से बीजेपी के अनूप मिश्रा से 646 वोट से हारे.
4- 1993में गिर्द विधानसभा सीट से बीएसपी के लाखन सिंह यादव को 4013 वोटों से हराया.
5- 1998 में बीएसपी के लाखन सिंह यादव से 9652 वोट से हारे,
6- 2003 में ग्वालियर विधानसभा सीट से बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर से 34140 वोट से हारे