सिंधिया की भाग्य में नहीं है अभी राजयोग, नहीं बन सकते मंत्री जानिए क्यों?

इस स्थिति से अमात्य योग का निर्माण हो रहा है, जिस कारण सिंधिया ने जनता में लोकप्रिय होने के साथ ही सम्मान भी प्राप्त किया।

Update: 2020-06-14 06:30 GMT

 कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया का मध्यप्रदेश में सरकार बनने के बाद भी कांग्रेस में कोई ऐसा मुकाम हांसिल नहीं हुआ, जिसकी कल्पना वो करते थे। आखिरकार हताशा में उन्होंने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। लेकिन, ग्रहयोग बताते हैं कि वहाँ भी उनको वो सम्मान नहीं मिलेगा जो मिलना चाहिए था। ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्रिका में मकर लग्न है, जिसका स्वामी शनि है। वर्तमान में शनि की महादशा में राहू की अंतर्दशा 6 फ़रवरी 2019 से चल रही है जो 8 जुलाई 2021 तक चलेगी। इस समय-काल तक इसका अशुभ प्रभाव रहेगा। इस महादशा में स्वास्थ्य समस्या लगातार बनी रहती है तथा राजपक्ष से भी हानि होती है। अर्थात कोई भी ऐसा कार्य जिससे लाभ की उम्मीद है, वो लगातार हानि में परिवर्तित होता है और प्रत्येक कार्य में बाधा आती है। व्यथा के कारण मानसिक स्थिति स्थिर नहीं रहती। इस दशा में एक समस्या से छुटकारा नहीं मिलता कि दूसरी आरंभ हो जाता है। साथ ही चौथे भाव में मेष राशि का शनि पूर्ण दृष्टि से तुला राशि के मंगल को देख रहा है, जो एक विस्फोटक योग का निर्माण करती है। इस दृष्टि के कारण ही वे 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के पतन का कारण बने। कुंडली में उपस्थित चन्द्र राहू का ग्रहण योग, शनि की महादशा में राहू की अन्तर्दशा व शनि की पूर्ण दृष्टि का मंगल पर पड़ना, तीनों ही अशुभ स्थिति हैं। इनके कारण योग्य होने के बाद भी 8 जुलाई 2021 तक सिंधिया की प्रतिष्ठा पर आघात लगेगा। साथ ही उनके साथ गए समर्थकों को भी इसका खामियाजा भुगतना होगा। समर्थकों के लिए भी स्थिति पूर्व के समय के मान से निम्नतर होगी। परन्तु इसके विपरीत जुलाई 2021 के उत्तरार्ध से सिंधिया पुनः अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं।

ज्योतिरादित्य सिधिंया का जन्म 1 जनवरी 1971 को मुंबई में हुआ था। मकर लग्न में जन्मे ज्योतिरादित्य की जन्मकुंडली में कुछ विशिष्ठ योग होने से उन्होंने काफी कम उम्र में लोकप्रियता पाई। 12वें भाव में सूर्य बुध की उपस्थिति और बुधादित्य योग के कारण वे अपनी ओजस्वी वाणी से जनसामान्य को प्रभावित करते हैं। चौथे भाव में सूर्य की उच्च राशि मेष में शनि नीच राशि का होने से नीचभंग राजयोग का निर्माण हो रहा है। ये योग राजनीतिक सफलता का प्रतीक है। दसवें भाव में तुला राशि का मंगल होने से कुल दीपक योग का निर्माण हुआ। एकादश भाव अर्थात आय भाव में देव गुरू और दैत्य शुक्र की युति बहुत शुभ होने से वे भाग्यवान और बेशुमार और स्थिर लक्ष्मी के मालिक हैं। ऐसा व्यक्ति ख्याति प्राप्त करता है और विपरीत लिंग में ज्यादा लोकप्रिय होता है। साथ में मंगल रूचक योग भी बन रहा है। चौथे भाव में मेष राशि में स्थित शनि अपनी पूर्ण दृष्टि से दशम भाव में स्थित तुला राशि के मंगल को देख रहा है! इस स्थिति से अमात्य योग का निर्माण हो रहा है, जिस कारण सिंधिया ने जनता में लोकप्रिय होने के साथ ही सम्मान भी प्राप्त किया।

सिंधिया की जन्म पत्रिका में दूसरे भाव में चन्द्र के साथ राहु की उपस्थिति ग्रहण योग बना रही है, जो पूर्ण सफलता को प्रभावित करता है। 2005 से शुरू हुई नीच राशि के शनि की महादशा में वे सत्ता से दूर रहे, किंतु शनि की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा के दौरान 2012 से 2014 तक केंद्रीय मंत्री रहे। सिंतबर 2018 से चल रही शनि की महादशा में राहू की अंतर्दशा के कारण प्रदेश में कांग्रेस के सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता होने के बाद भी वे मुख्यमंत्री पद प्राप्त नहीं कर सके। वर्तमान में उक्त महादशा के कारण उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है! लेकिन, इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया को व्यर्थ की बहस से बचना होगा। वे यदि ऐसी किसी बहस ने उलझते हैं, तो प्रतिष्ठा पर प्रभाव पड़ सकता है। इससे वर्तमान दशा में भी कार्य बाधा उत्पन्न होती और अपने लोगों से परेशानी आती है। 2019 से 2021 तक का समय सिंधिया के लिए अनुकूल नहीं है। इस अवधि में उन्हें शासन व अपने गुप्त शत्रुओं से परेशानी आ सकती है। 

पं अजय शर्मा (ज्योतिष ) के अपने निजी विचार है. संपर्क: 9893066604

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