आखिर ऐसा क्या हुआ, दलित महिला के शव को टायर और डीजल से जलाना पड़ा
दलितों को नही शवो को जलाने मुक्तिधामो में सुविधा,
मध्य प्रदेश से हाल ही में एक चौकाने वाली खबर आई है। प्रदेश के गुना जिले में कुछ ऐसा हुआ है कि जानने के बाद आपको हैरानी होगी। यह बहुत ही शर्मनाक मामला है। दरअसल यहां पर दलितों को श्मशान घाट नहीं मिल रहे है और इसी के चलते उन्हें परिजनों की मौत के बाद खुद ही सारा इंतजाम करना होता है। अब हाल ही में जो मामला सामने आया है वह जिले के बांसाहैड़ा गांव् का है। यहां 45 साल की एक महिला की मौत के बाद ग्रामीणों को न केवल चिता के लिए जरूरी चीजों, बल्कि टीन की चादरों से लेकर शेड तक की व्यवस्था खुद करनी पड़ी।
बताया जा रहा है उन्हें महिला के शव को टायर और डीजल से जलाना पड़ा। जी हाँ, सामने आने वाली खबरों के अनुसार बांसाहैड़ा गांव की 45 साल की महिला रामकन्या बाई हरिजन की शुक्रवार सुबह 10:00 बजे मौत हो गई। इस बीच तेज बारिश के चलते परिजनों ने मृतक का शव डेढ़ घंटे तक घर में ही रखा। वहीँ जब बारिश बंद नहीं हुई तो परिजन और गांव वाले शव को लेकर श्मशान घाट पहुंचे। लेकिन यहां न कोई टीन शैड था और न ही कोई चबूतरा जिस पर शव का अंतिम संस्कार किया जा सके। यह देखकर लोगों ने गांव से 2 टीन की चादरें मंगवाईं और जैसे-तैसे चिता तैयार की।
बारिश के चलते लकड़ियां गीली थीं, इसी के चलते कुछ लकड़ियों के नीचे टायर रखकर जलाए गए और तब कहीं लकड़ियां आग पकड़ सकी। वहीँ इसके बाद शेड के रूप में 10-12 गांववाले खुद खड़े हो गए और उसके बाद महिला का डीजल डालकर अंतिम संस्कार किया जा सका। आप सभी जानते ही होंगे कि यह दलित बाहुल इलाका है और यहां दलित समुदाय के 1000 से अधिक परिवार निवास करते हैं। ऐसे में यहाँ के लोगों का कहना है कि उनसे केवल वादे किये जाते हैं उन्हें पूरा नहीं किया जाता।