एमजे अकबर मानहानि केस में पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय, खुद को बताया निर्दोष
रमानी ने मीटू अभियान के दौरान तत्कालीन केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था
नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में अदालत ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का आरोप तय कर दिए है। प्रिया रमानी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में दिल्ली की अदालत में खुद को निर्दोष बताया, कहा सुनवाई का करेंगी सामना । रमानी ने मीटू अभियान के दौरान तत्कालीन केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसके बाद अकबर ने पद से इस्तीफा देकर रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दाखिल किया था।
पटियाला हाउस कोर्ट स्थित एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने अकबर की ओर से दाखिल याचिका और पेश साक्ष्यों पर विचार करने के बाद रमानी के खिलाफ आरोप तय किए है। रमानी ने पिछले साल अक्तूबर में सोशल मीडिया के जरिये अकबर पर बीस साल पहले यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। जब रमानी ने यह आरोप लगाया था तब अकबर देश से बाहर थे। स्वदेश लौटने पर उन्होंने विदेश राज्यमंत्री के पद से 17 अक्तूबर, 2018 को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को आधारहीन और तथ्यों से परे बताया तथा रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दाखिल किया था।
अदालत में भाजपा सांसद ने कहा कि रमानी के झूठे आरोपों से उनके मान-सम्मान को ठेस पहुंची और उनकी छवि धूमिल हुई। अकबर ने अदालत में अपनी शिकायत के समर्थन में बयान दर्ज कराते हुए कहा कि महिला पत्रकार द्वारा उन पर लगाए गए झूठे आरोपों से उनकी प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंची, जो उन्होंने पिछले 40 साल में अर्जित की थी।
अदालत को बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में छपे लेखों में रमानी के ट्वीट का इस्तेमाल किया गया है। अकबर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत को बताया कि रमानी द्वारा किए गए ट्वीट मानहानि को साबित करते हैं। अधिवक्ता ने अपने मुवक्किल पर झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल करने के लिए पत्रकार रमानी पर मानहानि का मुकदमा चलाने की मांग की थी।