तो ममता की झांकी को नहीं दी मोदी सरकार ने गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने की अनुमति

गणतंत्र दिवस परेड के लिए आए झांकियों के 56 प्रस्तावों में से 22 चुने गए हैं जिनमें राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के....

Update: 2020-01-03 05:58 GMT

नई दिल्ली। इस बार 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के परेड में पश्चिम बंगाल के बाद अब महाराष्ट्र की झांकी भी साल 2020 की गणतंत्र दिवस की परेड में देखने को नहीं मिलेगी. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री जितेंद्र अवध ने दावा किया है कि इस बार के गणतंत्र दिवस की परेड में महाराष्ट्र की झांकी को गृह मंत्रालय ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।

इस मामले पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की झांकी हमेशा से देश का आकर्षण रही है. अगर यही कांग्रेस के कार्यकाल में हुआ होता तो महाराष्ट्र बीजेपी हमलावर हो जाती. बता दें कि गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर कई झांकियां निकलती हैं, जिनमें राज्य, केंद्र शासित प्रदेश और केंद्रीय मंत्रालयों की उपस्थिति होती है।

संजय राउत ने कहा कि इस बार की परेड में महाराष्ट्र की झांकी को शामिल नहीं किया गया. यह जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स द्वारा तैयार किया गया है. हमें इसके लिए ज्यादातर बार पुरस्कार मिला है. ऐसा क्या हुआ कि इस बार महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की झांकी को जगह नहीं मिली. दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है यही कारण है. यह महाराष्ट्र का बड़ा अपमान है. उन्होंने कहा कि पूरा महाराष्ट्र गणतंत्र दिवस परेड का इंतजार करता है. मैं महाराष्ट्र के सीएम से मामले में जांच करने की अपील करता हूं।

शिवसेना सांसद ने कहा कि अब हमें अन्य राज्यों को देखना होगा जहां पर बीजेपी सत्ता में नहीं है. राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड को शामिल किया जाता है या नहीं ये अब देखना होगा.

मंत्रालय को मिले थे 56 प्रस्ताव

इस बार की गणतंत्र दिवस परेड के लिए आए झांकियों के 56 प्रस्तावों में से 22 चुने गए हैं जिनमें राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 16 और केंद्रीय मंत्रालयों के छह प्रस्ताव हैं। मंत्रालय को राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से झांकियों के 32 और केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों से 24 प्रस्ताव मिले थे.पांच बैठकों के बाद उनमें से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 16 और मंत्रालयों/विभागों के छह प्रस्ताव अंतिम रूप से गणतंत्र दिवस परेड 2020 के लिए चुने गए हैं.'

बयान के अनुसार पश्चिम बंगाल के प्रस्ताव को विशेषज्ञ समिति द्वारा दो दौर की अपनी बैठकों में परीक्षण करने के बाद खारिज कर दिया गया। विशेषज्ञ समिति ने इस प्रस्ताव को दूसरी बैठक से आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया। टीएमसी सांसद सौगतो रॉय ने कहा कि बंगाल को बाहर करना घोर भेदभाव होगा। बंगाल एक समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करता है और इसका बहिष्कार मोदी-शाह की जोड़ी के पक्षपात को दर्शाता है।

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