भूपेन हजारिका को मिला 'भारत रत्न' लेने से बेटे का इंकार, कहा- नागरिकता कानून वापस ले सरकार

हजारिका के बेटे तेज ने साफ किया कि वे अपने पिता को दिया गया भारत रत्न तभी लेंगे जब केंद्र सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को वापस लेगी।

Update: 2019-02-12 04:28 GMT

नई दिल्ली : मशहूर गायक भूपेन हजारिका को मरणोपरांत दिए गए देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न को लेने या ना लेने पर हजारिका परिवार दो धड़ों में बंट गया है। खबरों के मुताबिक भूपेन हजारिका के बेटे तेज हजारिका ने पिता को दिए गए भारत रत्न को लेने से मना कर दिया है। हजारिका के बेटे तेज ने साफ किया कि वे अपने पिता को दिया गया भारत रत्न तभी लेंगे जब केंद्र सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को वापस लेगी।

दूसरी तरफ भूपेन हजारिका के भाई समर हजारिका और भाभी मनीषा हजारिका का मानना है कि भारत रत्न का अपमान नहीं करना चाहिए। अमेरिका में रह रहे तेज हजारिका ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए स्थिति साफ की है। 

तेज ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि कई पत्रकार सवाल कर रहे हैं कि मैं अपने पिता को दिए गए भारत रत्न को स्वीकार करूंगा या नहीं? उन्हें बता दूं कि मुझे अभी तक इसको लेकर कोई निमंत्रण नहीं मिला है, तो अस्वीकार करने जैसा कुछ है ही नहीं अभी। दूसरी बात, केंद्र सरकार ने इस सम्मान को देने में जिस तरह की जल्दबाजी दिखाई है और जो समय चुना है वह और कुछ नहीं बस लोकप्रियता का फायदा उठाने का सस्ता तरीका है।

तेज हजारिका ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि 'मेरा मानना है कि मेरे पिता के नाम का ऐसे समय इस्तेमाल किया गया जब नागरिकता (संशोधन) विधेयक जैसे विवादित बिल को अलोकतांत्रिक तरीके से लाने की तैयारी की जा रही है। यह भूपेन दा की उस विचारधारा के बिलकुल खिलाफ है जिसका उन्होंने हमेशा समर्थन किया। पिछले महीने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने भूपेन हजारिका, नानाजी देशमुख और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की थी।

परिवार एकमत नहीं : नागरिकता (संशोधन) विधेयक बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। हालांकि परिवार इस पर एकमत नहीं है। भूपेन हजारिका के भाई समर हजारिका ने कहा कि यह उनका (तेज का) निर्णय है, मेरा नहीं। खैर मुझे लगता है कि उन्हें भारत रत्न लेना चाहिए। वैसे भी इसमें बहुत देर हो चुकी है।

कौन हैं भूपेन हजारिका :

भूपेन हजारिका ने अपने जीवन में एक हजार गाने और 15 किताबें लिखी हैं। भूपेन हजारिका पूर्वोत्तर राज्य असम से ताल्लुक रखते थे। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा हजारिका ने हिन्दी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाने गाए। उन्होंने फिल्म 'गांधी टु हिटलर' में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन 'वैष्णव जन' गाया था। उन्हें पद्म भूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने

'रुदाली', 'मिल गई मंजिल मुझे', 'साज', 'दरमियां', 'गजगामिनी', 'दमन' और 'क्यों' जैसी सुपरहिट फिल्मों में गीत दिए। साल 2011 में भूपेन हजारिका का निधन हो गया।


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