सोशल मीडिया पर भी इस बार लागू होगी आचार संहिता, नहीं माने तो होगा ऐक्शन

यही नहीं चुनाव आयोग ने गूगल, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब से राजनीतिक दलों से मिलने वाले विज्ञापनों का वेरिफिकेशन करने को कहा है

Update: 2019-03-10 14:19 GMT

नई दिल्ली : बीते आम चुनाव के मुकाबले इस बार के इलेक्शन में काफी बदलाव दिखेंगे। इस बार 100 फीसदी ईवीएम में वीवीपैट की सुविधा रहेगी ताकि वोटर यह जान सकें कि उनका सही जगह गया है या नहीं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी चुनाव आयोग ने कड़ी निगरानी का फैसला लिया है। इसकी जानकारी देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, 'सभी उम्मीदवारों को अपना नामांकन दाखिल करते वक्त अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स का ब्योरा चुनाव आयोग को सौंपना होगा।' चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने सोशल मीडिया पर भी आचार संहिता लागू होने की बात कही है।

 उन्होंने कहा कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इस दौरान किसी भी राजनीतिक पार्टियों के विज्ञापन पोस्ट करने से पहले जानकारी देनी होगी। परमीशन दिए जाने के बाद ही वे ऐसा कर पाएंगे. गूगल और फेसबुक को इलेक्शन कमीशन ने ऐसे विज्ञापनदाताओं की पहचान करने के लिए कहा है।

इसके अलावा फेक न्यूज और हेट स्पीच को नियंत्रित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा गया है। इलेक्शन कमीशन ने आम जनता और पार्टियों के लिए कुछ ऐप्स और डिजिटल पोर्टल्स की भी जानकारी दी है। ऐसा ही एके वेब पोर्टल 'समाधान' आम जनता के लिए होगा। ये पोर्टल फीडबैक के लिए होगा।

यही नहीं चुनाव आयोग ने गूगल, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब से राजनीतिक दलों से मिलने वाले विज्ञापनों का वेरिफिकेशन करने को कहा है। असल में इसके जरिए चुनाव आयोग किसी भी तरग के प्रॉपेगेंडा मैटिरियल पर रोक लगाना चाहता है। 

मुख्य चुनाव आयुक्त ने ये भी जानकारी दी है कि इस बार एक ऐप भी लॉन्च किया जाएगा, जिस पर कोई भी मददाता किसी भी नियम के उल्लंघन को कैमरे से रिकॉर्ड कर कमीशन को सीधे भेज सकेंगे. इसी तरह 'सुविधा' ऐप विभिन्न पार्टियों के लिए उपलब्ध होगा। इस ऐप्लिकेशन का उपयोग करते हुए पार्टी के प्रतिनिधि, उम्मीदवार और चुनाव एजेंट चुनावी उद्देश्य के लिए विभिन्न अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं।

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