पूर्व जनरल एच एस पनाग ने की सर्जिकल स्ट्राइक और सेना को लेकर बड़ी बात, सरकार को किया कठघरे में खड़ा
मेरी समझ में पाकिस्तान की नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा. उसकी कोशिश यह होगी कि बड़े बड़े हमले मत करो छोटी मोटी हरकतें होती रहेंगी. यही लंबी सोच और नीति लगती है पाकिस्तान की.
लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर्ड एच एस पनाग ने नवभारत टाइम्स को दिए गये अपने साक्षात्कार में कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक बहुत छोटे लेवल का काम होता है. इसका मतलब दुसरे मुल्क अर्थात पाकिस्तान को चेतावनी देना होता है. कि अगर तुम नहीं माने तो हम इससे बड़ी कार्यवाही करेंगे. लेकिन कभी हम इसका खुलासा नहीं करते थे. यह काम पहली बार इस सरकार ने किया.
जनरल पनाग ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक बहुत छोटे लेवल पर एक टेक्निकल मूव था. उसके जरिए आप ने पाकिस्तान को केवल एक चेतावनी दी अगर आप प्रॉक्सी वार को बंद नहीं करेंगे तो हम दोबारा और भी बड़ी कार्रवाई कर सकते हैं. पहले हम ऐसा करते थे और बताते नहीं थे. कभी इस बात का प्रचार नहीं किया जाता था. इस सरकार ने पहली बार इस डिक्लेअर किया अच्छी बात है सरकार की इंटेंशन स्ट्रैटेजिक थी. उच्च स्तर की थी काम टेक्निकल था. उसमें कोई संदेह नहीं कोई खराबी नहीं.
लेकिन पाकिस्तान तो रुका नहीं उसने अगले 2 साल में नाक में दम कर दिया है. 1 दिन भी चैन का दिन नहीं हुआ. जम्मू कश्मीर में तो फिर आप ऊपर क्यों नहीं गए? क्योंकि हमारा कोई स्ट्रैटेजिक लेवल पर प्लान नहीं था और फिर जब एक और इवेंट पुलवामा अटैक हो गया. जिसमें हमारे देश के 40 जवान मारे गए तो फिर अब कुछ करना है. क्राइसिस टू क्राइसिस. फिर आपने एयर स्ट्राइक किया यह स्ट्रैटेजिक था. क्योंकि आप बहुत ऊपर चले गए पहले सर्जिकल स्ट्राइक अब इस बड़े स्तर होते हैं. पहला एयर फोर्स के बाद में मिसाइल्स और इसके बाद दूसरा युद्ध क्या आप इसे जारी रखेंगे? आगे आने वाले समय में जब जरूरत पड़ेगी. आप क्या करेंगे? मेरी समझ में पाकिस्तान की नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा. उसकी कोशिश यह होगी कि बड़े बड़े हमले मत करो छोटी मोटी हरकतें होती रहेंगी. यही लंबी सोच और नीति लगती है पाकिस्तान की.
उन्होंने कहा की "हाई आन इमोशंस लोइन सब्सटेंस". बातें बहुत की है. इस हद तक की नोटबंदी के टाइम पर उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया कि जब सेना लाइन में खड़ी है. तो बाकी लोग क्यों नहीं खड़े हो सकते लेकिन कोई मेजर फॉर्म देखने में नहीं आया. हाई डिफेंस डायरेक्शन में कोई चेंज नहीं आया. वैसे सिर्फ सरकार की बात नहीं है. काग्रेस ने भी बहुत सारी गलतियां की हैं पिछले 10 साल से सेना कह रही है. हमारी राइफल्स बहुत कमजोर है.
लेकिन आज तक किसी सरकार ने नहीं सुना पहले 5 साल कांग्रेस ने निकाल दिए और अब इस सरकार ने 5 साल निकाल दिए. हालांकि 2019 में आकर इस दिशा में अमल किया गया. मोदी जी अमेठी में एक फैक्ट्री का उद्घाटन करके आए हैं. लेकिन इतना वक्त तो निकल ही गया पिछले 20 साल से सेना के आधुनिकीकरण का सवाल जस का तस बना हुआ है 5 वर्षों में भी स्थिति ठीक नहीं हुई है साफ है पहले की सरकार भी ऐसी थी और अब बीजेपी की सरकार भी ऐसी ही है.