ईसाई बनने का प्रस्ताव गांधीजी ने ठुकरा था, इस पत्र के द्वारा दिया था जवाब
नई दिल्ली। क्रिसमस का त्योहार दुनियाभर में धूमधाम से मनाया जाता है. यह ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है. 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार भगवान ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. ईसा मसीह को प्रभु यीशु के नाम से भी याद किया जाता है।
महात्मा गांधी अपने ब्रिटेन और फिर दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान ईसाईयों के संपर्क में आए. भारत लौटने के बाद भी आजादी की लड़ाई तक देश-दुनिया में उनके काफी ईसाई मित्र रहे. ऐसे ही एक मित्र ने उनसे ईसाई बनने का अप्रत्यक्ष आग्रह भी किया था, जिसे गांधीजी ने खारिज कर दिया ।
मित्र का आग्रह ठुकराते हुए उन्होंने एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने साफ कहा कि ईसा मसीह मानवता के सच्चे शिक्षक हैं लेकिन तब भी वे इस बात से सहमत नहीं कि वही आखिरी शक्ति हैं और उन्हें ये धर्म अपना लेना चाहिए. 6 अप्रैल 1926 को लिखा गांधीजी का वो पत्र अमेरिका में $50,000 यानी लगभग साढ़े तीन करोड़ की कीमत पर नीलाम हुआ।
तमाम धर्मों को समान भाव से देखने वाले गांधीजी इस बात को लेकर पक्का रहे कि सबको अपने धार्मिक रीत-रिवाज मानने की छूट मिलनी चाहिए. यही वजह है कि जिस दौरान देश में धर्मांतरण का दौर चल रहा था, गांधीजी ने अपने एक प्रिय अमेरिकी मित्र और धार्मिक नेता मिल्टन न्यूबरी फ्रांट्ज का अनुरोध ठुकरा दिया.
उन्हें साबरमती आश्रम में रहने के दौरान मिल्टन का पत्र मिला, जिसमें उन्होंने ईसाई धर्म को सर्वोच्च बताते हुए गांधीजी से उस बारे में सोचने को कहा था. साथ में क्रिश्चिएनिटी पर पढ़ने के लिए भी काफी कुछ भेजा गया था.
बदले में गांधीजी ने भी एक पत्र लिखा. इसमें उन्होंने लिखा- 'प्रिय मित्र, मुझे नहीं लगता कि मैं आपके प्रस्तावित पंथ को मानने लगूंगा. अनुयायी को मानना होता है कि जीसस क्राइस्ट ही सर्वोत्तम हैं. जबकि अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद मैं ये महसूस नहीं कर पा रहा हूं. पत्र में गांधीजी ने आगे लिखा कि वे मानते हैं कि ईसा इंसानियत के महान शिक्षक रहे लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि धार्मिक एकता के मायने सारे लोगों का एक धर्म को मानने लगना नहीं, बल्कि सारे धर्मों को समान इज्जत देना है.'
बतादें कि बाइबल में जीसस की कोई बर्थ डेट नहीं दी गई है, लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को ही हर साल क्रिसमस मनाया जाता है. इस तारीख को लेकर कई बार विवाद भी हुआ. लेकिन 336 ई. पूर्व में रोमन के पहले ईसाई रोमन सम्राट (First Christian Roman Emperor) के समय में सबसे पहले क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया गया. इसके कुछ सालों बाद पोप जुलियस (Pop Julius) ने आधिकारिक तौर पर जीसस के जन्म को 25 दिसंबर को ही मनाने का ऐलान किया।