जानें क्या है विशाखा गाइडलाइंस जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया
महिलाओं के प्रति अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली संस्था विशाखा ने जो पेटिशन दायर की थी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी धार्मिक संस्थानों, मदरसों में विशाखा गाइडलाइंस लागू करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धार्मिक संस्थानों में विशाखा गाइडलाइंस लागू करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है।
याचिका में कहा गया था कि धार्मिक संस्थानों में भी महिला कर्मचारी काम करती हैं और उनके खिलाफ भी यौन उत्पीड़न की घटनाएं होती हैं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश खन्ना ने राम रहीम यौन शोषण का हवाला देते हए कहा कि धार्मिक स्थलों पर यौन उत्पीड़न की घटनाएं होती हैं, लेकिन अशिक्षित होने के कारण महिलाएं आवाज नहीं उठा पाती।
सुप्रीम कोर्ट केचीफ जस्टिस ने कहा कि हम धारा 32 के तहत याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं। आपके पास कानूनी राहत के दूसरे विकल्प हैं।
जानें क्या है विशाखा गाइडलाइंस- कुछ दशक पहले राजस्थान में हुए भंवरी देवी गैंगरेप केस के बाद महिलाओं के प्रति अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली संस्था विशाखा ने जो पेटिशन दायर की थी, उसी के मद्देनज़र साल 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा के लिए ये दिशानिर्देश जारी किए थे, और सरकार से आवश्यक कानून बनाने के लिए कहा था।
'विशाखा गाइडलाइन्स' जारी होने के बाद वर्ष 2012 में भी एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान नियामक संस्थाओं से यौन हिंसा से निपटने के लिए समितियों का गठन करने को कहा था, और उसी के बाद केंद्र सरकार ने अप्रैल, 2013 में 'सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ वीमन एट वर्कप्लेस एक्ट' को मंज़ूरी दी थी. 'विशाखा गाइडलाइन्स' के तहत किसी को भी गलत तरीके से छूना या छूने की कोशिश करना, गलत तरीके से देखना या घूरना, यौन संबंध स्थापित करने के लिए कहना या इससे मिलती-जुलती टिप्पणी करना, यौन इशारे करना, महिलाओं को अश्लील चुटकुले सुनाना या भेजना, महिलाओं को पोर्न फिल्में या क्लिप दिखाना - सभी यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है।