कश्मीर मसले पर झूठ बोलकर डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से किया विश्वासघात

Update: 2019-07-24 04:08 GMT

 दीपक कुमार त्यागी एडवोकेट स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार

अपने झूठ बोलने व बड़बोलेपन की आदत के लिए विश्व में प्रसिद्ध अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 22 जुलाई को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से अमेरिका में मुलाकात के दौरान इमरान खान को खुश करने के लिए कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने का बेहद विवादास्पद बयान दिया है। हालांकि उनके बयान को अमेरिकी विदेश मंत्रालय और भारत सरकार ने पूर्ण रूप से नकार दिया है।

कश्मीर मसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इंटरनेशनल झूठ से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। उनकी इस हरकत के बाद मीडिया जगत के दिग्गज उनके झूठों का पुलिंदा लोगों के सामने पेश कर रहे है। अमेरिकी मीडिया ट्रंप के झूठ के पिटारों की लम्बी फेहरिस्त को दिखा रही है जिसके द्वारा झूठ बोलने के लिए पूरी दुनिया में बदनाम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी मीडिया ने ही जमकर पोल खोल दी है। अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए ट्रंप के झूठ को आंकड़ों में उतार दिया है। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से अब तक 10 हजार 796 बार झूठ बोल चुके हैं। इतना ही नहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप ने औसतन रोजाना 12 बार झूठ बोला है। जो विश्वसमुदाय के सामने उनके बयानों की गम्भीरता व विश्वसनीयता को दर्शाने के लिए काफी हैं।

आपको बताते चले कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से एक झूठे बयान का दावा किया कि मोदी और उन्होंने पिछले महीने जी -20 शिखर सम्मेलन के मौके पर जापान के ओसाका में कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा की थी, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पर तीसरे पक्ष से मध्यस्थता कराने की पेशकश की थी। ट्रंप ने कहा कि 'मैं दो हफ्ते पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ था और हमने कश्मीर के बारे में बात की और उन्होंने वास्तव में कहा, 'क्या आप मध्यस्थ बनना चाहेंगे? मैंने कहा, 'कहाँ?' (मोदी ने कहा) 'कश्मीर' मसले पर, ट्रंप ने जिस तरह से मोदी का हवाला देकर भारत के साथ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के नाम से झूठ बोलकर विश्वासघात करके कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने का बेतुका बयान दिया है, वह भारत को भड़काने वाला और कभी भी स्वीकार ना होने वाला बयान है। समाचार एजेंसी AFP के मुताबिक, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से वार्ता के दौरान ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालने के लिए भारत व पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की थी। ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर बहुत बड़ा झूठ बोला हैं। ट्रंप ने दावा किया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए उनसे मदद मांगी थी। जबकि सत्यता यह है कि कश्मीर मसले के समाधान पर भारत हमेशा से ही तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के खिलाफ है। देश की किसी भी सरकार ने कश्मीर को लेकर कभी भी किसी अन्य देश की मध्यस्थता के बारे में सोचा भी नहीं हैं। लेकिन सोमवार को जिस तरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक में कश्मीर का राग अलापा है उसके बाद मीडिया की खबरों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने की पेशकश की है।

जो कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के द्वारा मिथ्या व गलत बयानबाजी से ज्यादा कुछ नहीं है, क्योंकि कश्मीर मुद्दे पर देश की सभी सरकारों का स्पष्ट मत रहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तो इस पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता भारत को कभी भी स्वीकार नहीं है। लेकिन ना जाने किस परिस्थिति में और क्यों ट्रंप ने यह विवादित बयान देकर भारत के साथ विश्वासघात किया है कि मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए मदद मांगी थी।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने जहां एक-तरफ देश-दुनिया में भूचाल ला दिया वहीं इस बयान के मायने को भी समझा जाना जरूरी है। आज पाकिस्तान के यह हालात है कि वो दिन प्रतिदिन अमेरिका से दूर होता जा रहा है और आर्थिक सहयोग के लालच में चीन की गोद में जा बैठा है। वहीं जब डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी ली थी तो विश्व में चीन का रौब कम करना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं की सूची में शामिल था। इस काम के लिए एशियाई देशों में भारत ही उनका सबसे प्रभावी शक्तिशाली सहयोगी हो सकता था। लेकिन भारत के राजनैतिक हालात व देश की लोकतांत्रिक स्थिति ऐसी है कि वो कभी भी किसी अन्य देश का पिट्ठू नहीं बन सकता है। भारत एक सीमा तक ही अमेरिका के करीब जा सकता था। ऐसे में ट्रंप को आर्थिक रूप से कंगाल हो चुकें पाकिस्तान का दोबारा ध्यान आया। उसी के लिए ट्रंप कश्मीर पर मध्यस्थता करने का बयान देकर पाकिस्तान को फिर से अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं उनकी इस हरकत को देखकर ऐसा लगता है कि ट्रंप दुनिया का भाग्यविधाता बनने की चाह में यह दिखाना चाह रहे हैं कि वो इतने बड़े चौधरी है कि वो भारत के मसलों में भी टांग अड़ा सकते हैं। इसके साथ ही ट्रंप को लगता है कि अमेरिका को जल्द से जल्द अफगानिस्तान से बाहर निकल आना चाहिए, तो अमेरिका के इस मिशन में अफगानिस्तान में पाकिस्तान ही उसकी सबसे अधिक सहायता कर सकता है। वो ही अमेरिकी सेना को अफगान से सुरक्षित बाहर निकाल सकता है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर डोनाल्ड ट्रंप के इस झूठे बयान के आने के बाद भारत ने ट्रंप के इस बयान को सिरे से ख़ारिज कर दिया है कि नरेंद्र मोदी ने उनसे कभी कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने के लिए कहा था।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्विटर पर कहा, "हमने राष्ट्रपति ट्रंप के बयान को प्रेस में देखा कि वो कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं, अगर भारत और पाकिस्तान इसकी मांग करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी कोई मांग राष्ट्रपति ट्रंप से नहीं की है।"

प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, "भारत का लगातार यह पक्ष रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता ही होगी। पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत की शर्त ये है कि पहले सीमा पार से आतंकवाद बंद हो।"

उन्होंने कहा, "शिमला समझौता और लाहौर घोषणा पत्र पाकिस्तान और भारत के बीच के सभी मु्द्दों के द्विपक्षीय समाधान का आधार प्रदान करते हैं।"

वहीं राष्ट्रपति ट्रंप के इस बयान पर देश के विभिन्न राजनैतिक दलों की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने भी ट्रंप के बयान पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा कश्मीर पर प्रेस को दिया गया बयान US सिस्टम में बड़ी खामी को दिखाता है। वाइट हाउस में लिजा कर्टेस जैसी भारत और दक्षिण एशिया मामले की विशेषज्ञ रहने के बाद भी अगर ऐसा बयान दिया जाता है तो ऐसा लगता है कि कुछ मूलभूत दिक्कतें हैं।'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ट्वीट करके कहा है कि, 'ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रम्प को इस बात का थोड़ा भी अंदाजा है कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं। ट्रंप को या तो समझाया नहीं गया है या समझ नहीं आया है कि (प्रधानमंत्री) मोदी क्या कह रहे हैं या फिर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर भारत की स्थिति क्या है। मोदी ऐसा कह ही नहीं सकते है। विदेश मंत्रालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि दिल्ली ने कभी इसकी (तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की) हिमायत नहीं की है।'

कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर लिखा, "भारत ने कभी भी जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है।"

वहीं कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए भारत के आग्रह करने वाले बयान पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने घर अमेरिका में ही घिरते नजर आ रहे हैं। अमेरिकी सांसद कांग्रेसमैन "ब्रैड शेरमन" ने ट्रंप के इस बयान की आलोचना करते हुए इसे अपरिपक्व और भ्रमित करने वाला बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी अमेरिकी राष्ट्रपति से मध्यस्थता का आग्रह नहीं किया।

इस मसले पर विवाद खड़ा होने के बाद व चारों तरफ राष्ट्रपति ट्रंप की हो रही आलोचना के बाद तुरंत ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी सफाई देते हुए कहा कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है। हालांकि, ट्रंप-इमरान की मुलाकात पर व्हाइट हाउस द्वारा जो प्रेस रिलीज जारी की गई है, उसमें कश्मीर को लेकर दिया गया डोनाल्ड ट्रंप का यह विवादित बयान शामिल नहीं है।

वहीं मंगलवार को कश्मीर पर मध्यस्थता के बयान पर ट्रंप की ओर से दिए गए बयान को लेकर भारत की राजनीति में खलबली मच गई है। राज्यसभा और लोकसभा में विपक्षी दल सरकार से सफाई मांग रहे है। राज्यसभा में भी कश्मीर पर ट्रंप की ओर से दिए गए बयान पर जोरदार हंगामा हुआ। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने इस मुद्दें को उठाते हुए प्रधानमंत्री से जवाब की मांग की। वहीं लोकसभा में भी कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया और विपक्षी सांसद सरकार से कश्मीर पर जवाब देने के लिए नारेबाजी करने लगे।

जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावे पर राज्यसभा में अपनी ओर से दिए गए एक बयान में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ''हम सदन को पूरी तरह आश्वस्त करना चाहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है।''

विदेश मंत्री ने यह भी कहा ''हम अपना रूख फिर से दोहराते हैं कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय तरीके से ही किया जाएगा ।''

उन्होंने कहा ''पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत सीमा पार से जारी आतंकवाद बंद होने के बाद, लाहौर घोषणापत्र और शिमला समझौते के अंतर्गत ही होगी।''

विदेश मंत्री के इस बयान के बाद कांग्रेस सहित सभी विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस विषय पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। लोकसभा में भी कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया और विपक्षी सांसद सरकार से कश्मीर पर जवाब देने के लिए नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने कहा कि भारत की सरकार ने अमेरिका के सामने सिर झुका दिया है, उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से सदन में आकर जवाब देने की मांग की। कांग्रेस के सांसद के. सुरेश ने कश्मीर को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प के बयान पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। कश्मीर मसले के चलते इस मामले पर भारत में अब राजनीति चरम पर है।

लेकिन हमारे देश के राजनेताओं व नीतिनिर्माताओं को भी सोचना चाहिए कि कश्मीर मसले पर हम अमेरिका या किसी अन्य देश के झांसे में ना आये। क्योंकि पिछले कुछ दशकों से भारत आर्थिक तरक्की के नित-नये आयाम बना रहा है। जिसके चलते वह बहुत सारे देशों की आँखों की किरकिरी बना हुआ है। जबकि भारत और पाकिस्तान एक-साथ ठीक 72 साल पहले आजाद हुए थे। लेकिन दोनों देशों में आज कितना बड़ा अंतर है। भारत जहां एक तरफ मंगल ग्रह की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा है। वहीं आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह बन चुका पाकिस्तान उर्फ आतंकिस्तान कटोरा लेकर भीख मांग रहा हैं।

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