निर्भया केस: पवन को मंडोली जेल से लाया गया तिहाड़,फांसी को लेकर हलचल तेज
विनय शर्मा के अलावा जो बाकी तीन दोषी हैं वो पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद हैं।
नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा को दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया है. इससे पहले विनय मंडोली जेल में बंद था. 2012 में राजधानी में हुए निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी. विनय शर्मा के अलावा जो बाकी तीन दोषी हैं वो पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद हैं। तिहाड़ जेल नंबर दो में बंद निर्भया से सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों अक्षय, मुकेश और पवन पर नजर रखने के लिए जेल प्रशासन ने तत्काल छह सीसीटीवी कैमरे खरीदकर लगाने का निर्णय लिया है। ताकि, 24 घंटे दोषियों की गतिविधियों पर नजर बनी रहे। उधर, जेल नंबर चार में बंद विनय शर्मा पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
जेल सूत्रों का कहना है कि हैदराबाद में सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों की मुठभेड़ में मारे जाने व इस घटना को लेकर देश में दुष्कर्म के दोषियों को तत्काल फांसी देेने की मांग किए जाने से निर्भया के दोषियों में भी डर का माहौल है। ऐसे में कोई भी दोषी किसी तरह का गलत कदम न उठाए, इसके लिए जेल प्रशासन ने तत्काल छह सीसीटीवी कैमरे खरीदने का निर्णय लिया है। राष्ट्रपति के पास भेजी गई दोषी विनय शर्मा की दया याचिका खारिज होने पर सभी दोषियों को फांसी देने का रास्ता साफ हो जाएगा।
बीते दिनों ही दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने दायर की गई दया याचिका को वापस करने के लिए अपील की थी. विनय की ओर से दलील दी गई थी कि उस याचिका में उसने हस्ताक्षर नहीं किए थे. दिल्ली सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पहले ही दोषियों की दया याचिका को खारिज करने की अपील की गई थी।
ऐसे में माना जा रहा है कि निर्भया कांड के दोषियों को एक ही दिन फांसी दी जाएगी। इस मामले में दोषी पवन को तिहाड़ जेल लाया गया है। उसे जेल संख्या दो में रखा गया है। माना जा रहा है कि एक ही दिन चारों दोषियों को फांसी देने के लिए जेल प्रशासन ने यह कदम उठाया है। हालांकि, जेल प्रशासन समय-समय पर दोषियों की काउंसिलिंग कर रही है ताकि वह कोई गलत कदम न उठा सके।
बतादें कि 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली के मुनेरका में एक प्राइवेट बस में अपने एक दोस्त के साथ चढ़ी 23 साल की पैरा मेडिकल छात्रा के साथ एक नाबालिग सहित छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म और लोहे के रॉड से क्रूरतम आघात किया गया था. इसके बाद गंभीर रूप से घायल पीड़िता और उसके पुरुष साथी को चलती बस से महिपालपुर में बस से नीचे फेंक दिया गया था।
पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, उसके बाद तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने बेहतर इलाज के लिए उसे विशेष विमान से सिंगापुर भेजा था, जहां वारदात के 13वें दिन उसने दम तोड़ दिया था. निर्भया की मौत के बाद देश की सड़कों पर युवाओं का सैलाब उतरा था जो इंसाफ की मांग कर रहा था.