सुप्रीमकोर्ट ने अपने पुराने दिए आदेश में संशोधन करते हुए कहा है कि अब प्रदेश में पुलिस महानिदशक के पद पर तैनात होने वाले अधिकारी का कार्यकाल कम से कम छह महीनों का होगा. पहले सुप्रीमकोर्ट ने दो साल तय कर दिया था.
सुप्रीमकोर्ट के नए आदेश के मुताबिक़ अब सिर्फ उन आईपीएस अधिकारियों के नाम पर राज्य का पुलिस महानिदेशक बनने के लिए विचार किया जाएगा, जिनके रिटायर होने में कम से कम 6 महीने का समय हो. सुप्रीमकोर्ट ने पिछले साल के आदेश में संशोधन यह बदलाब किया है. कोर्ट पहले ये तय कर चुका है कि DGP का कार्यकाल 2 साल का होगा.
बता दें कि प्रदेश में सरकार पुलिस महानिदेशक की तैनाती अपने मनचाहे अधिकारी की करके प्रदेश की कानून व्यवस्था चलाती है. ताकि उसे अपने बनाए नियम कानून भलीभांति जनता तक पहुंचा सके. इस लिहाज से अब जो सीनियर अधिकारी है वो इस पद पर जाने के लिए प्रतीक्षा में बने रहते है. ज्यादातर अधिकारी डीजी बनते बनते रिटायर हो जाते है. और जो पहुंच जाते भी है वो सरकार के अनदेखी के चलते इस पद तक नहीं पहुंच पाते है.
बात अगर अहम उत्तर प्रदेश की करें तो पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने सबसे जूनियर डीजी बने आईपीएस अधिकारी जावीद अहमद को प्रदेश का पुलिस महानिदेशक बनाया जबकि उनसे सीनियर तेरह डीजी बने अधिकारी मुंह देखते रहा गये. उसके बाद योगी सरकार ने भी कई सीनियर अधिकारीयों की अनदेखी करते हुये ओपी सिंह को प्रदेश का नया डीजीपी नियुक्त किया.