1984 सिख दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

Update: 2019-07-23 08:20 GMT

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने उन 33 लोगों को जमानत दी, जिन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए उन्हें पांच साल की जेल की सजा सुनाई थी। शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए कहा था कि इन लोगों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद नहीं है और किसी चश्मदीद ने सीधे इन लोगों की पहचान नहीं की थी, जिससे इन्हें दोषी करार दिया जा सकता जिसे लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 15 लोगों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 28 नवंबर 2018 को निचली अदालत द्वारा 89 लोगों को दंगा व दूसरे अपराधों, घर जलाने व कर्फ्यू लगाने के लिए दोषी करार देने के फैसले को कायम रखा। इन लोगों ने दंगे के दौरान पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में इन अपराधों को अंजाम दिया था। यह दंगे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्या के बाद हुईं। हाईकोर्ट ने दोषियों की अपील खारिज कर दी है। दोषियों ने सत्र न्यायालय के 27 अगस्त, 1996 के फैसले को चुनौती दी थी। सत्र न्यायालय ने 89 लोगों को दोषी करार दिया था। 89 में से कुछ की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है और उनकी खिलाफ मामला बंद कर दिया गया है।

बतादे कि 31 अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी। गुस्साए लोगों ने सिखों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। दिल्ली में भी रहने वाले कई सिखों की हत्या कर दी गई थी।  


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