राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अब 29 जनवरी होगी, एक जज ने खुद को किया सुनवाई से अलग
राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अब 29 जनवरी होगी. आज हुई सुनवाई में जस्टिस यूयू ललित ने खुद को केस से अलग कर लिया. अब इस मामले में पांच जजों की एक नई संवैधानिक पीठ का गठन होगा.
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि बेंच में शामिल जस्टिस यूयू ललित 1994 में कल्याण सिंह की ओर से कोर्ट में पेश हुए थे. हालांकि, इतना कहते ही उन्होंने तुरंत खेद भी जताया. जिसपर चीफ जस्टिस गोगोई ने उन्हें कहा कि वह खेद क्यों जता रहे हैं. आपने सिर्फ तथ्य को सामने रखा है. हालांकि, यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित के पीठ में शामिल होने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन इस तरह का मामला उठाने के बाद जस्टिस यूयू ललित ने खुद को इस मसले से अलग कर लिया है
लेकिन यह पहला मामला नही है जब यू यू ललित ने स्वयं को सुनवाई से अलग किया है. तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में अभियोजक को हटाए जाने के खिलाफ दायर आवेदन पर भी खुद को सुनवाई से अलग किया था कि उन्होंने मामले में कुछ आरोपियों की पैरवी की थी. अब इस मामले की सुनवाई के लिए 5 जजों की नयी संवेधानिक पीठ गठित होगी.
बता दें कि राम मंदिर मामले में सुप्रीमकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के निर्णय करने की उम्मीद लोंगों को थी. लेकिन उनके कार्यकाल में कई बड़े लेट लतीफ मामले सुलझाए गये लेकिन यह मामला निर्णायक स्तिथि में नहीं पहुंचा तब तक उनका कार्यकाल पूरा हुआ है. अब जनता को उम्मीद थी कि चार जनवरी को कोर्ट का निर्णय आ जायेगा या फिर केंद्र की हिंदूवादी सरकार अध्यादेश लाकर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ कर देगी. लेकिन अभी फिर से कोर्ट ने दस जनवरी की सुनवाई नियत कर दी उधर सरकार ने कह दिया कि मामला कोर्ट में लंबित है इसलिए सरकार कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा करेगी. अब दस जनवरी को सुनवाई के दौरान कहा कि मामला 29 जनवरी को सुना जाएगा.