80 अलर्ट अनदेखी का नतीजा मथुरा हिंसा, UP सरकार ने खुफिया एजेन्सियों के अलर्ट पर नहीं दिया ध्यान

Update: 2016-06-10 07:15 GMT
मथुरा: पिछले सप्ताह मथुरा में हुए खूनी संघर्ष में आरोप-प्रत्यारोप के बीच यूपी की अखिलेश सरकार घिरने लगी है। खुफिया एजेंसी ने प्रदेश सरकार को कम से कम 80 बार इनपुट और अलर्ट भेजे, पल-पल की जानकारी दी, लेकिन सरकार और पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। मुख्यमंत्री इसे इंटेलिजेंस की विफलता बता रहे हैं, जबकि सच्चाई ये है।

एक पड़ताल में सामने आया है कि जवाहरबाग में तैनात पुलिसकर्मियों को भी इस बात का अंदाजा था कि रामवृक्ष मथुरा का कंस बन चुका है। इस घटना में दो जांबाज अफसरो समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी।

2012 से मथुरा में तैनात इंटेलिजेंस यूनिट में इंस्पेक्टर मुन्नी लाल गौर ने बताया, हमने यूपी सरकार को एक दो बार नहीं बल्कि पूरे 80 बार जवाहरबाग का इनपुट भेजा। सरकार और शासन दोनों को चेताया कि मथुरा का जवाहर बाग बारूद के ढेर पर है। इंटेलिजेंस यूनिट के इंस्पेक्टर मुन्नी लाल गौर ने उस रिपोर्ट का हवाला भी दिया, जिसको लखनऊ यानी अखिलेश सरकार को भेजा गया था। लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया।

गौर ने यह रिपोर्ट DM, SSP और गृह सचिव को भी भेजी यही नहीं, ऐसी 15 रिपोर्ट भेजी गईं, जिसे डीएम ने शासन को भेजा था। इनमें एक रिपोर्ट 10 नवंबर 2014 की भी है। फिर नवंबर 2014 की 13 जनवरी 2015 की एक रिपोर्ट भी है, जिसमें मारपीट का जिक्र है। इंटेलिजेंस यूनिट के इंस्पेक्टर ने यह भी बताया कि खूनी संघर्ष से ठीक एक दिन पहले यानी एक जून को भी सरकार को चेताया गया था।

स्टि‍ंग सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का इस्तीफा मांगा है। यही नहीं इस मामले को लेकर बीजेपी आज दोपहर 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाली है।
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