जिया उल हक़ और एसपी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव की शहीदी में अंतर क्यों?
मथुरा
उत्तर प्रदेश सरकार का पुलिस विभाग में शहीद होने पर अंतर क्यों? पिछले कई महीनो से जो दशा यूपी पुलिस की आम जनता में मखौल बनकर रह गयी इसका जिम्मेदार आखिर कौन है. एक समय पुलिस जब गाँव में जाती थी पुरे गाँव की कानून व्यवस्था पूरी तरह सुद्र्ण नजर आती थी. आज छोटी छोटी बात पुलिस के साथ अमानवीय घटना पुलिस के लिए मजाक बनती जा रही है जो कि एक सामन्य नागरिक के लिए बेहद खतरनाक साबित होंगी.
बात करते है शहीद पुलिस उपाधीक्षक जिया उल हक़ की तो उनकी शहीदी पर युप सरकार 50 लाख नकद और उनकी वेवा को ग्रेड-2 की नौकरी के बाद ही शव को दफनाने दिया गया. जबकि मथुरा में शहीद हुए जाबांज अधिकारी एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और फरह थानाध्यक्ष संतोष कुमार यादव की शहीदी पर 20 लाख क्यों? मुख्यमंत्री जी जान सबकी बराबर होती है तो कमसे कम सहादत की कीमत कम क्यों? क्या इनके परिजनों ने आपको धमकी नहीं दी आन्दोलन की इसलिए, सरकार के लिए सभी शहीद होने वाले अधिकारी और जवानों के साथ एक तरह का सलूक करना चाहिए.