पत्नी का शव लेकर कभी 10 किलोमीटर चला था पैदल, ऐसे बदली जिंदगी की तस्वीर

ये घटना 24 अगस्त 2016 की है। ओडिशा के पिछड़े जिले कालाहांडी में दाना मांझी को अपनी दूसरी पत्नी के शव को कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा था।

Update: 2017-12-08 06:41 GMT

गारियाबंद: पिछले साल पैसे ना होने के चलते अपनी पत्नी की लाश को 10 किलोमीटर तक पैदल अपने कंधे पर ढोने के बाद अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आनेवाले ओडिशा के गरीब आदिवासी दाना मांझी की जिंदगी साल भर में अब पूरी तरह बदल चुकी है। अब उसकी गरीबी उससे काफी पीछे छूट चुकी है। मंगलवार को मांझी कालाहांडी जिले के भवानीपाटा से अपने घर तक उस हॉन्डा की बाइक पर सफर की जिसे वह शो रुम में 65 हजार रुपये से खरीदी है। ये वही रोड है जहां पिछले साल अगस्त में गरीब मांझी अपनी बेटी के साथ पैदल कंधे पर अपनी पत्नी अमांग देई का कपड़े में लिपटा शव लेकर पैदल 10 किलोमीटर चलकर घर आया था क्योंकि उसके पास गाड़ी वालों को देने के लिए पैसे नहीं थे।  

यहां तक कि जिस प्रशासन पर अक्सर लोग अनदेखी का आरोप लगाते हैं उसकी तरफ से भी मदद का हाथ बढ़ा और मांझी को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत घर का आवंटन किया गया। इस वक्त घर का निर्माण चल रहा है और मांझी आंगनवाड़ी विलेज सेंटर में रह रहा है। मांझी को बहरीन के प्रधानमंत्री प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल-खलीफा की तरफ से 9 लाख रुपये दिए गए। अन्य लोगों और संगठनों ने भी मांझी की ओर मदद का हाथ बढ़ाया। जिस मांझी के पास एक बैंक अकाउंट तक नहीं था उसके पास आज काफी पैसे फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे रखे हैं जो पांच साल बाद मैच्योर होंगे। 
बता दे ये घटना 24 अगस्त 2016 की है। ओडिशा के पिछड़े जिले कालाहांडी में दाना मांझी को अपनी दूसरी पत्नी के शव को कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा था। उसे अस्पताल से शव को घर तक ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं ला और एंबुलेंस रिजर्व कर उसे देने के लिए पैसे तक नहीं थे। उसके साथ उसकी 12 वर्षीय बेटी भी थी जो पिता के साथ चल रही थी। ये फोटो सोशल मीडिया समेत कई प्लेटफॉर्म पर वायरल हुई और गरीबी का ये दर्द भी लोगों ने देखा।

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