भारत का सबसे सस्ता भोजनालय-इंडियन पार्लियामेंट को अब नही मिलेगी सब्सिडी

Update: 2019-12-05 09:11 GMT

महंगाई के मुद्दे पर घिरी सरकार ने देश की संसद में सांसदों, आगंतुकों और पत्रकारों के लिए बनी कैंटीन पर बड़ा फैसला किया है. अब से किसी को भी संसद के कैंटीन में सब्सिडी नहीं मिलेगी. इस पर पक्ष और विपक्ष ने एक साथ मिल कर फैसला किया है कि अब कैंटीन में सब्सिडी नहीं मिलेगी संसद की कैंटीन में खाने की लागत के हिसाब से ही सांसदों को पैसा देना होगा।

लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के सुझाव के बाद बिजनेस एडवाइज़री कमेटी ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी. जिसमें सभी पार्टियों ने इस मसले पर सहमति जताई है. अगर संसद की कैंटीन से सब्सिडी को हटा दिया जाता है तो इसमें 17 करोड़ रुपये सालाना की बचत होगी।

बता दें कि पिछली लोकसभा में कैंटीन में खाने का दाम बढ़ाया गया था और सब्सिडी का बिल कम कर दिया गया था. लेकिन अब सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म करने की तैयारी है। संसद की कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी कई बार विवादों का हिस्सा रही है. बीते दिनों संसद की कैंटीन की रेट लिस्ट भी वायरल हुई थी. सब्सिडी के तहत देश के सांसदों के संसद की कैंटीन में खाना काफी कम दाम पर मिलता था

बता दें कि 2017-18 तक संसद में चिकन करी 50 रुपये, प्लेन डोसा 12 रुपये, वेज थाली 35 रुपये और थ्री कोर्स लंच 106 रुपये में मिलता था. ये सब्सिडी वाली रेट लिस्ट सिर्फ सांसदो के लिए थी।  सूचना के अधिकार के तहत दिए गए ब्यौरे के मुताबिक, वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक संसद कैटीनों को कुल 73,85,62,474 रुपये बतौर सब्सिडी दिए गए।

अगर बीते पांच वर्षों की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है कि वर्ष 2012-13 में सांसदों के सस्ते भोजन पर 12,52,01867 रुपये, वर्ष 2013-14 में 14,09,69082 रुपये सब्सिडी के तौर पर दिए गए। इसी तरह वर्ष 2014-15 में 15,85,46612 रुपये, वर्ष 2015-16 में 15,97,91259 रुपये और वर्ष 2016-17 में सांसदों को सस्ता भोजन मुहैया कराने पर 15,40,53365 रुपये की सब्सिडी दी गई।


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