जब बाबा की क्रपा से गंगाजल बना दूध फिर बनी चाय

Update: 2016-03-01 07:48 GMT


बाबा नीम करोरी महाराज की एक समय की बात का कि महाराज कितने दयालु और सब कुछ करने सक्षम थे।


प्रयाग मे १९६६ के कुम्भ मेले में महाराज का कैम्प संगम पर गंगा के दुसरी तरफ़ झूँसी पर लगा था। रात्रि अधिक हो चली थी। बाबा का दरबार चल रहा था। उस समय ब्रह्मचारी बाबा एक भक्त के कान में धीरे से कह रहे थे कि इस समय सब को चाय पिलायी जा सकती तो बहूत अच्छा था।

सर्दी काफ़ी थी। भण्डारे में चीनी चाय सब कुछ था पर दूध नहीं था। उसी समय बाबा बोल उठे ," चाय पियेगा ? जा, बालटी ले जा , गंगा से दूध भर कर ले आ , कह देना , मईया दूध ले जा रहा हूँ , कल लौटा दूँगा।"

ब्रह्मचारी बाबा ने तुरंत उनकी आग्या का पालन किया । जैसे ही वे गंगाजल से भरी बाल्टी लेकर आये तो बाबा ने उसे ढक कर रखने को कह दिया। कुछ समय बाद बाबा उन्हें याद दिलाते हूये बोले ," अब चाय क्यूँ नहीं बनाता ?" वे तुरन्त पानी आग पर रख कर आये और दूध के लिये चिन्तित हो गये। पानी उबल जाने पर उन्होने बाल्टी का ढक्कन उठाया तो उन्हें वे बाल्टी पूरी दूध से भरी दिखाई दी। सब लोगों ने माघ की उस ठण्डी रात में चाय का आन्नद लिया। और सभी इस लीला से चकित थे। दुसरे दिन जब कैम्प में दूध आया तो बाबा जी ने एक बाल्टी दूध गंगा जी में डलवा दिया।

ऐसे दयालु थे बाबा नीम करोरी महाराज जिन्होंने हमेशा अपने भक्तों की हर समय मदद की। बाबा की क्रपा से ही आज आप फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे है।

जय गुरूदेव
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