हम जानते हैं कि विज्ञान एवं तकनीकी के इन्नोवेशन ने दुनिया भर में महामारी के खिलाफ मजबूती से युद्ध लड़ने में अहम भूमिका निभाई है : डॉ रेणु स्वरूप
डॉ स्वरूप ने विभिन्न देशों को विज्ञान आधारित एजेंडा तय करने और वैश्विक स्तर पर उसे अमल में लाने , सृजन और ज्ञान आधारित नजरिए से मुदद्दों के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।
पीआईबी, नई दिल्ली : बीते मंगलवार को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सचिव डॉ रेणु स्वरूप ने ब्रिक्स युवा वैज्ञानिक फोरम में विज्ञान को आगे बढ़ने के लिए सहयोग, साझेदारी और संपर्क के महत्व पर प्रकाश डाला।
ब्रिक्स युवा वैज्ञानिक फोरम के छठे संस्करण के उद्घाटन भाषण के दौरान उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि विज्ञान एवं तकनीकी के इन्नोवेशन ने दुनिया भर में महामारी के खिलाफ मजबूती से युद्ध लड़ने में अहम भूमिका निभाई है। इस लड़ाई में सहयोग, साझेदारी और संपर्क महत्वपूर्ण हथियार रहे हैं।" फोरम का आयोजन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज, बेंगलुरु (एनआईएएस) के सहयोग से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा किया गया।
डॉ स्वरूप ने विभिन्न देशों को विज्ञान आधारित एजेंडा तय करने और वैश्विक स्तर पर उसे अमल में लाने , सृजन और ज्ञान आधारित नजरिए से मुदद्दों के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। इसके तहत डाटा निर्माण, उसका विश्लेषण और उनके एप्लीकेशन के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए, उन्होंने इन क्षेत्रों में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने को कहा। इसके अलावा उन्होंने वैज्ञानिकों से प्रमुख बीमारियों का जल्द पता लगाने में मदद करने के लिए सटीक दवा, जीनोमिक टूल्स बायोमार्कर पर फोकस करने का अनुरोध किया। डॉ स्वरूप ने वैश्विक समुदाय से डेटा निर्माण, उनका विश्लेषण और उनके एप्लीकेशन के लिए इन्नोवेशन और इनक्यूबेशन हब के माध्यम से जुड़ने की भी अपील की।
एनआईएएस के निदेशक प्रोफेसर शैलेश नायक ने प्रतिभागियों से भविष्य में बातचीत और नेटवर्किंग के जरिए जुड़े रहने का आग्रह किया ताकि टिकाऊ समाधान तैयार किए जा सकें और भविष्य में बेहतर इन्नोवेशन किया जा सके। डीएसटी के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रमुख श्री संजीव के वार्ष्णेय ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रिक्स सम्मेलन युवा वैज्ञानिकों के बीच आम समस्याओं को हल करने के लिए एक नेटवर्क निर्माण अवसर के रूप में कार्य कर सकता है। सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए, उन्होंने ब्रिक्स वाईएसएफ 2021 के प्रायोजकों के सहयोग से फेलोशिप शुरू करने का भी प्रस्ताव रखा।
फोरम में विभिन्न देशों के 125 वैज्ञानिकों की भागीदारी देखी। ब्राजील, रूस और भारत के प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व क्रमशः कार्लोस मात्सुमोतो, अल्बिना कुतुज़ोवा और डॉ अरविंद कुमार ने किया। जबकि चीन और दक्षिण अफ्रीका के प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व ली वेनजिंग और डॉ स्टेनली मफोसा ने किया।