दुनिया के मीडिया में माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा तब भारत के मीडिया में पंडोंखर बाबा और धीरेन्द्र शास्त्री में उलझे

जब हम विकास शील भारत को अग्रणी भारत बनाने की ओर चल रह हो तब मीडिया की बड़ी जिम्मेदारी शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार होता है और तकनीक के बारे में चर्चा करना होता है।

Update: 2023-02-24 06:38 GMT

गिरीश मालवीय 

दुनिया का मीडिया बता रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट के चैट GPT और गूगल के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर रेस चल रही है भारत का मीडिया बता रहा है कि पंडोखर सरकार और बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री के बीच पर्चा लिख कर श्रद्धालुओ के भविष्य भूतकाल बांचने की होड़ चल रही है। 

भारत का मीडिया इतना बेवकूफ पहले कभी नहीं था अब तो नित नई नई मूर्खता का प्रर्दशन मीडिया के लिए रोज की बात हो गई है। 

मुझे याद है कि 1995 यानी आज से कोई 28 साल पहले ठीक "गणेश चतुर्थी" के दिन देश में यह अफ़वाह फैली कि गणेश जी की मुर्तियां दूध पी रहीं हैं और पूरा देश कटोरी में दूध लेकर मंदिरों के सामने लाईन लगाकर खड़ा हो गया था।

लेकिन तब मीडिया इस कदर बेवकूफ नहीं था उस वक्त "आजतक" के संस्थापक "सुरेंद्र प्रताप सिंह" के नेतृत्व में "आजतक" दूरदर्शन के डीडी मैट्रो पर आता था जिसमें सुरेंद्र प्रताप सिंह खुद एंकर बनते थे

आज तक प्रोग्राम में सुरेंद्र प्रताप सिंह ने इस घटना की वैज्ञानिक व्याख्या की और पूरी पोल खोल कर रख दी। राजेश बादल ने अपने संस्मरण में लिखा है कि उन्होंने यह भी साफ किया कि आखिर गणेश जी के दूध पीने का प्रोपेगंडा करने की योजना कहां बनी थी।

इस घटना की सच्चाई को दूरदर्शन भी सामने लेकर आया वैज्ञानिक दल ने स्टूडियो आकर बताया कि घटना में कोई चमत्कार नहीं है तथा वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार सामान्य घटना है दूध से भरे चम्मच को जब 90 अंश के झुकाव पर मूर्ति से सम्पर्क किया गया तो प्रतिमा ने दूधपान नहीं किया लेकिन इसके विपरीत चम्मच झुकाने से ऐसा प्रतीत हुआ । वैज्ञानिकों ने बताया कि प्रत्येक द्रव का पृष्ठ तनाव होता है जो द्रव के भीतर अणुओं के आपसी आकर्षण बल पर निर्भर होता है । जिस पदार्थ के सम्पर्क में यह आता है उस ओर इसका बल हो जाता है । इस घटना में जैसे ही चम्मच में भरा दूध सीमेंट ,पत्थर या संगमरमर से बनी प्रतिमा के सम्पर्क में आया वह उसकी सतह पर फैल गया तब देखने वालों को लगा कि प्रतिमा ने उस दूध को खींच लिया लेकिन जैसे ही दूध मे रंग या सिन्दूर मिलाकर प्रतिमा से लगाया गया बहती हुई दूध की पतली धार दिखती रही ।

अन्धविश्वास का विरोध करने के लिये और लोगों में वैज्ञानिक दृष्टि से इसका विश्लेषण करने की अपील करती हुई भी कई संस्थाएँ सामने आईं प्रोफेसर यशपाल जैसे वैज्ञानिकों ने जनता को जागरूक करने का भरसक प्रयत्न किया और उनकी कोशिशों का उस वक्त मीडिया ने भी पुरजोर समर्थन किया

लेकिन आज देखिए मीडिया क्या कर रहा है ?.......वो सत्ताधारी दल की इच्छानुसार संतो के तथाकथित चमत्कार के जरिए हिन्दू राष्ट्र का एजेंडा जमकर लोगो के दिमाग में बैठा रहा है लेकिन वो नही देख रहा है कि इस प्रकार वो एक पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है

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