आजमगढ़ में सरकारी डॉक्टर एक 'मुर्दे' को चढ़ाते रहे ग्लूकोज
नर्स आई तो आक्सीजन लगा कर चली गयी, लेकिन वह उसे चालू करना भूल गई. डॉक्टर तब पहुंचे जब मरीज की मौत हो चुकी थी.
आजमगढ़. निजी अस्पतालों की तर्ज पर अब सरकारी डॉक्टर (Doctor) भी मुर्दे का उपचार करने लगे है. एक ऐसा ही मामला मंगलवार को आजमगढ़ (Azamgarh) जिला अस्पताल (District Hospital) में देखने को मिला, जहां मरीज की मौत होने के बाद भी डॉक्टर ऑक्सीजन व ड्रिप लगाकर इंजेक्शन लगाते रहे. मामला सामने आने के बाद अधिकारी लीपापोती में जुट गए. हालांकि अब जांच की बात कही जा रही है.
सड़क हादसे में घायल हुआ था मरीज
दरअसल, जीयनपुर कोतवाली क्षेत्र के अंजान शहीद में सोमवार को हुए सड़क हादसे में घायल कप्तानगंज थाना क्षेत्र के रौसड़ गांव निवासी हरिप्रसाद 60 पुत्र घुरई को जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया था. पहले तो परिजन घंटे भर अस्पातल स्टाफ के आगे-पीछे घूमते रहे, लेकिन कोई डॉक्टर मौके पर नहीं आया. एक नर्स आई तो आक्सीजन लगा कर चली गयी, लेकिन वह उसे चालू करना भूल गई. डॉक्टर तब पहुंचे जब मरीज की मौत हो चुकी थी. लेकिन उन्होंने भी मरीज को मृत घोषित करने के बजाय ड्रिप के साथ छोड़कर चले गए.
ऑक्सीजन लगाकर स्टार्ट करना भूली नर्स
परिजनों के मुताबिक हरिप्रसाद विल्कुल ठीक थे. खुद डॉक्टर ने इसकी पुष्टि की थी और कहा था कि मंगलवार को एक्स-रे कराकर देखा जाएगा कि कहीं इंजरी तो नहीं है. मंगलवार को दोपहर में मरीज ने हल्का भोजन लिया. इसके बाद उनका पेट फूलने लगा. इसकी जानकारी नर्सिंग स्टाफ व डॉक्टर को दी गई, लेकिन कोई नहीं आया. एक घंटे में कई बार मिन्नत की तो नर्स आकर ऑक्सीजन लगा कर चली गई, लेकिन वह चालू नहीं था. बाद में डॉक्टर आए तो बाताया कि मरीज की मौत हो गई है. उन्होंने में भी हाथ में लगा ड्रिप नहीं हटवाया. लाश को ड्रिप चढ़ता रहा.
अब की जा रही जांच
जब परिजनों ने इसका विरोध किया तो एसआइसी श्रीकृष्ण सिंह मौके पर पहुंचे और लीपापोती का प्रयास किया. इस वक्त भी लाश बेड पर पड़ी थी. परिजनों ने उसे हटाने से मना कर दिया. इस मामले में जब एसआईसी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि फाइल में साफ है कि मरीज सीरियस है. ऑक्सीजन चालू था, लेकिन पेसेंट को इंजरी तो थी ही वह सूगर का मरीज था. परिजनों की सूचना के बाद डॉ रामकेवल मरीज को देखे थे. मरीज को इंजेक्शन लगाया तभी उसकी डेथ हो गयी. प्रथम दृष्टया यह लापरवाही का मामला नहीं है. फिर भी डॉ चंद्रहास व डॉ राजनाथ से मामले की जांच करायी जा रही है. अगर किसी तरह की लापरवाही मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी.