ससुरालवालों ने प्राइवेट पार्ट में डाल दी रॉड और डंडा, फ़ोटो देखकर उड़े होश
उत्तर प्रदेश में एक महिला की बार बार लूट रही है आबरू
आपके देश में क्या चल रहा है राजनीति, क्या खा रहे हो महंगाई, क्या पी सकते हो सस्ती शराब, क्या काम कर रहे हो, सस्ता इंटरनेट चला रहे हैं, आगे का क्या सोचा है, सोचना क्या है हिन्दू खतरे में है।
एक वक्त वो था जब अन्ना आंदोलन व निर्भया कांड ने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया था और नई राजनीतिक पार्टी के साथ देश में सूर्य उदय हुआ था। जिसमें महिलाओं की सुरक्षा, देश की सुरक्षा, काला धन वापसी, बेरोजगारी, महंगाई और अखंड भारत के सपने देखकर नई सरकार चुनी गई और जनता ने ऐसे सफेदपोशों को खदेड़ दिया था, जो इस देश को अपने बाप की जागीर समझने लगे थे। आज पीछे मुड़कर देखते हैं तो सिर्फ तारीख बदली और चेहरे बदले नजर आते हैं, बाकी सब तो वैसा ही है। खैर इसकी चर्चा फिर किसी दिन करेंगे, आज कलम एक बेहद दर्दनाक और शर्मसार कर देने वाली घटना को बताने के लिए उठी है।
जिस देश में महिला को देवी और लक्ष्मी का रूप माना जाता हो आज की व्याकुल कर देने वाली घटना हमारे उसी देश में बसे सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की है। जहां भगवा वस्त्रधारी साधु महात्मा राज्य के मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठे हैं। उनका एक हाथ गौ सेवा में लगता है तो दूसरा हाथ बड़े से बड़े बदमाश की गिरेबां तक पहुंचता है। वो राज्य में बड़े से बड़े बदमाशों को धूल चटाने का दावा करते हैं, लेकिन उनके राज में ये कैसा पुलिस प्रशासन है और कैसा प्रजातंत्र है जो एक महिला की आबरू ही न बचा सका और उसे अभी तक न्याय नहीं दिला सका। घटना यूपी के देवरिया की है, जहां बीते 19 जुलाई को देर रात करीब ढाई बजे सोते समय एक महिला के हाथ, मुंह बांधकर न सिर्फ चाकुओं से हमला किया गया है, बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड व डंडा तक डाल दिया गया। इतना ही नहीं उसके पति व 6 वर्षीय बच्ची को मुंह पर तकिया रखकर जान से मारने का पूरा प्रयास किया गया, किसी तरह सभी की जान तो बच गई, लेकिन ईज्जत चली गई, जो एक बार की मौत से ज्यादा और रोज दुख देगी।
यह खबर जनता को बताते हुए शर्म से हाथ कांप रहे हैं, मन में ऐसे घटिया समाज और देश के नेताओं व पुलिस पर भारी गुस्सा है और दिल कह रहा है अब अपनी सुरक्षा के लिए किसी के सामने हाथ फैलाने की कोई जरूरत नहीं, अपनी सुरक्षा करनी है तो खुद कोई ठोस कदम उठाओ, लेकिन देश का कानून भी उन्हीं के पीछे सबसे जल्दी पड़ता है जो शराफत छोड़कर नए नए तमंची बनते हैं।
खैर बात इस दर्दनाक घटना की करते हैं। इस नौजवान महिला मोनिका चौहान का ये हाल निर्भया गैंग रेप की तरह उसमें शामिल मानसिक रोगी व सिरफिरे शराबी लड़कों ने नहीं किया है, बल्कि इस लाचार महिला की ये हालत जाति प्रेमी समाज के रसूखदार और झूठी शान दिखाने वाले अपने ही ससुरालवालों ने की है। जिसमें महिला की सास बिंदु, चचिया सास रीना, ननद अनुराधा, चचिया ननद गोल्डी, देवर अभिषेक उसके साथी इंद्रजीत व शेषनाथ शामिल थे, इन सबके अलावा उसका ससुर उमेश सिंह और चाचा ससुर हरिनारायण अपनी झूठी शान के चलते अपने ही बहू, बेटे को सिर्फ मारने पर ही उतारू नहीं हुए, बल्कि उस रात देवर अभिषेक व उसके साथी सभी परिजनों के सामने महिला के प्राइवेट पार्ट में रॉड व डंडा डालते रहे और परिजन बजाय उन्हें रोकने के उनका साथ देते रहे।
इस घटना को लिखते वक्त मेरी रूह कांप रही है और उस महिला का चेहरा सामने आ रहा है, कि उसने कैसे उस दर्द को सहा होगा, उसकी चीख न निकले इसलिए महिला के मुंह को बांध दिया था, हाथ न चला पाए इसलिए हाथ बांध दिए थे। पति कुछ न कर पाए उसे भी बांधकर डाल दिया, वो अभागा विवश था अपनी पत्नी की चाहकर भी रक्षा नहीं कर पाया। सोचो एक भाई ने अपनी दो जवान बहनों के सामने अपनी सगी भाभी के साथ ये करतूत कैसे की होगी, जबकि निर्दयी मां-बाप, चाचा-चाची व उनके दो बाहरी साथी इस करतूत में उसका साथ देते रहे। कैसे होंगे उस परिवार के बुजुर्गों के संस्कार, क्या यही है वो पवित्र रिश्ता जिसे भाभी मां का दर्जा दिया गया है।
मैंने ये जानने की कोशिश की कि एक परिवार इतना कठोर कैसे बन गया, जो अपने ही सगे बेटे को मारने पर उतारू है, बेटी समान बहू को वो दर्द दे दिया, जो उसे मरते दम तक शर्मशार करता रहेगा, शायद घाव भर भी जाएं, लेकिन वो इस निर्दयी समाज का सामना कैसे करेगी, आखिर वो कौन सी वजह रही होगी, जो परिवार ने एक मां, बेटी, बहन और बहू को ऐसा दर्द दे दिया। ये जानने के लिए मैंने पीड़ित महिला मोनिका के पति सतीश राजपूत से बात की। सतीश ने मुझे पूछने पर बताया कि उन्होंने मोनिका से 10 साल पहले प्रेम विवाह किया था। चूंकि सतीश दिल्ली से सटे गुरुग्राम में रहकर अपना व्यवसाय करते थे और शादी भी अपनी मर्जी से की थी, इसलिए पत्नी मोनिका व 6 वर्षीय बेटी श्रेया के साथ वहीं रहने लगे। इधर गैर जाति में शादी करने की वजह से परिजन अपने बेटे से नाराज थे, लेकिन वे चाहते थे बेटा हमारे साथ गांव में ही आकर रहे। मां-बाप नाराजगी जाहिर सकते हैं, लेकिन परिजन नाराजगी के नाम पर गुरुग्राम में आकर उन्हें तंग करने लगे। ससुरालवालों ने वहां मोनिका के साथ कई दफा मारपीट भी की, तंग आकर मोनिका ने यह शिकायत पालम थाने में की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इधर परिजनों ने सतीश का व्यवसाय भी चौपट कर दिया और उसकी डिग्रियां भी साथ ले गए, इस तरह रोज रोज के झगड़े से तंग आकर वे दोनों बच्ची के साथ देवरिया, रुद्रपुर स्थित अपने गांव बेलूआरघाट आ पहुंचे।
गांव के पैतृक घर आने के बाद परिजन लड़की को अछूत कहते हुए उसे छोड़ने की बात कहने लगे। चूंकि सतीश ने मोनिका को छोड़ने और दूसरी शादी करने के लिए मना कर दिया तो घर में काफी हंगामा और मारपीट हुई। परिजनों को गांव में अपनी नाक नीची होते दिखी तो सतीश के परिजन अपना सारा सामान उठाकर कहीं दूसरी जगह रहने चले गए। जाते हुए बिजली, पानी के कनेक्शन भी कटवा गए और सतीश का व्यापार तो पहले ही खत्म करवा चुके थे। हालांकि इतनी सारी विपत्तियां भी सतीश व मोनिका के हौसले को पस्त नहीं कर पाई और वे राजी खुशी गांव में ही रहने लगे। परिजनों को लगा था मारपीट से बात नहीं बनी तो आर्थिक तंगी की वजह से ही लड़का इसे छोड़ देगा, लेकिन उलटा उन्हें खुश देखा तो परिजनों के तन बदन में फिर आग लगी और परिजन गांव में आकर फिर मोनिका के साथ मारपीट करने लगे। तंग आकर मोनिका ने इसके खिलाफ फिर से आवाज उठानी शुरू की तो ससुरालवालों ने दोनों के साथ मारपीट शुरू कर दी। इन दोनों को परिजनों द्वारा शारीरिक, मानसिक व आर्थिक तरीके से परेशान किया जाने लगा। इनका समाज व गांव में हुक्का पानी बंद कर दिया गया और दोनों की गांवभर में परिवारजन झूठे आरोप लगाकर बेज्जती करने लगे। इस तरह दोनों को कई बार मारा पीटा भी गया। इसके बाद जब मोनिका ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और थाने पहुंची तो वहां भी ससुर व चाचा ससुर ने अपना रसूख दिखाकर पुलिस को अपने पक्ष में कर लिया।
मोनिका व उसके पति के मुताबिक उनका देवर अभिषेक एक बार पहले भी मोनिका के साथ रेप कर चुका है और उसका वीडियो बनाकर ब्लैकमेल भी कर चुका है। मतलब छोटी जाति की औरत को घर की बहू और भाभी बनाने में ईज्जत जा रही है, लेकिन उसके साथ रेप करने से ईज्जत नहीं जाएगी, खैर इसकी शिकायत सुबूतों के साथ पुलिस को दी गई, लेकिन इतने संगीन आरोप के बावजूद कार्यवाही नहीं हुई। फिर बीते 31 मार्च को मोनिका के ससुर व अन्य लोगों ने महिला के साथ इतनी मारपीट की कि उसका 5 माह का बच्चा पेट में ही मर गया, जिसकी शिकायत पुलिस से की गई और पुलिस ने उसका गर्भपात देवरिया के सरकारी अस्पताल में कराया। इस मारपीट में बच्चे की तो मौत हुई ही, साथ ही मोनिका भी बड़ी मुश्किल से बची।
इस मामले के बाद लगा कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही जरूर होगी, लेकिन पुलिस मेडिकल रिपोर्ट अपने साथ ले गई, पीड़ित को उसकी न फ़ोटो खींचने दी और न ही उसकी कॉपी दी गई। तमाम कोशिशों के बाद जब मुकदमा दर्ज हुआ तो उस पर किसी की गिरफ्तारी भी नहीं हुई। परिजन एक बार सतीश का भी सिर फोड़ चुके हैं, जिसकी काफी कोशिशों के बाद एफआईआर तो हुई, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। रेप के मामले में भी गिरफ्तारी नहीं हुई। अनुराधा व उसके दोस्त विपिन सिंह की मिलीभगत से मोनिका के नाम की नकली फेसबुक आईडी बनाई गई और सोशल मीडिया पर महिला की फ़ोटो के साथ छेड़छाड़ करके उसे बदनाम किया गया, कई लड़कों ने मोनिका को गंदे मैसेज भेजे, रेप की धमकी दी, हिन्दू वाहिनी संगठन के अमन नकईल ने सीधे तौर पर धमकी दी, अश्लील फोटोज भेजी, मोनिका ने सभी सुबूतों के साथ साइबर पुलिस व सरकार को शिकायत की, लेकिन किसी की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
महिला के साथ अत्याचार और शिकायत देने का यह सिलसिला कोई नया नहीं है। पीड़ित महिला का ट्विटर अकाउंट चेक करने से पता चलता है कि ये महिला लगातार कई महीनों से थाना मदनपुर, रुद्रपुर, कोतवाली व देवरिया थाना पुलिस, वहां के एसपी, आईजी, डीजीपी व मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाती आ रही है। महिला अपनी जान को खतरा, अज्ञात लोगों द्वारा पीछा करना, अश्लील मैसेज भेजना व रेप करने की धमकी मिलने की शिकायत भी अनगिनत बार पुलिस को दे चुकी है, लेकिन कार्यवाही के नाम पर सब जीरो। इतना ही नहीं महिला ने 29 बार मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की है और महिला का दावा है कि पुलिस ने हर बार उसकी सभी शिकायतों पर बिना कार्यवाही किए ही पीड़ित को संतुष्ट बताकर शिकायत खत्म कर दी। महिला 3 बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जनता दरबार जाकर भी शिकायत कर चुकी है और एक बार मिलकर उन्हें पूरा मामला भी बताया, मुख्यमंत्री ने हर बार शिकायत पुलिस को भेजी, लेकिन मदनपुर थाना पुलिस के एसएचओ, दरोगा व अन्य पुलिसकर्मी हर बार महिला को डराते रहे, धमकाते रहे, गोबर खाती है क्या, पागल है क्या? इस तरह के कई अपशब्द बोलते हुए धक्के देकर भगा देते थे, क्योंकि पुलिस आरोपियों को बचाती साफ दिखाई दे रही थी और मोनिका उनके ऊपर भी कार्यवाही न करने का आरोप लगा देती थी।
इस महिला ने हर शिकायत व आरोपियों द्वारा की जाने वाली हर मारपीट के बाद वीडियो बनाकर पुलिस प्रशासन, मुख्यमंत्री यहां तक कि देश के गृहमंत्री, प्रधानमंत्री तक को शिकायत की है, लेकिन उसे इंसाफ न मिलना जाहिर करता है कि देश के नेता और पुलिस की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है। हालांकि महिला की शिकायतों का पिटारा देखने से पता चलता है कि महिला ने कानून पर अपना दृढ़ विश्वास नहीं छोड़ा, लेकिन उसके लगातार प्रयास कई बार मारपीट, पति के सिर फोड़े जाने और ससुर द्वारा मारपीट के बाद 5 महीने का बच्चा गर्भ में मरने के बावजूद मुकदमा नहीं होना, फिर बहुत ज्यादा प्रयास और मेडिकल रिपोर्ट के बाद मुकदमा दर्ज किया गया। इस तरह महिला व उसके पति ने अनगिनत बार मुकदमा लिखवाने की कोशिश की, लेकिन सिर्फ 10 बार ही मुकदमा दर्ज किया गया। जिसमें से 7 एफआईआर व 3 एनसीआर हैं।
आपको बता दें कि ये एफआईआर भी तब दर्ज हुई हैं जब महिला व उसके पति ने थाने व एसपी ऑफिस के बाहर धरना दिया और जनता को इक्कठा करके आरोपियों द्वारा किए गए बार बार अत्याचार, उनकी रिकॉर्डिंग व पुलिस के आरोपियों से मिला होने के ठोस सबूत दिखाए, लेकिन हैरानी देखिए इतने संघर्ष के बावजूद आरोपियों को 1 बार भी गिरफ्तार नहीं किया गया, जबकि महिला के साथ उसके देवर अभिषेक ने रेप करके वीडियो बनाई, ससुर ने कई बार हथियार दिखाकर मारने की धमकी दी, ननद अनुराधा ने अपने दोस्त विपिन के साथ मिलकर फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर महिला की फोटोज के साथ छेड़छाड़ करके उसे अश्लील बनाकर पोस्ट कर दिया, इन सबके बावजूद महिला को सिर्फ और सिर्फ आश्वासन दिए गए। इतना ही नहीं 23 अप्रैल को मोनिका ने एक शिकायत दी थी, जिसकी जांच के लिए मदनपुर थाना पुलिस उसे अपने साथ ले गई थी, लेकिन उल्टे उसका ही धारा 151 के तहत चालान कर दिया।
देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी और जहां के मुख्यमंत्री भी साधु महात्मा, जिनके बारे में किसी तरह के राजनीतिक फायदे के लिए बदमाशों को संरक्षण देने का आरोप लगाना भी बेमानी होगी, उस राज्य में पीड़ित महिला द्वारा 10 एफआईआर करवाने के बावजूद आरोपियों की न गिरफ्तारी हुई और न ही कोई कार्यवाही हुई। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा भला कैसे संभव हो सकता है, तो मैं आपको बता दूं कि इस देश में कुछ भी सम्भव हो सकता है। इसी उत्तर प्रदेश में और इसी महात्मा राज में कुलदीप सिंह सेंगर के नाम को जनता भूली नहीं है, जिसने बीजेपी विधायक होने का रसूख दिखाते हुए नाबालिग संग बलात्कार किया था, फिर पुलिस कस्टडी में उसके पिता की हत्या करवा दी, चाचा को जेल भिजवा दिया, फिर जब मीडिया में पूरी पार्टी की थू थू हुई तो गवाह और पीड़ित की कार का एक्सीडेंट ही करवा दिया गया। पीड़ित को इंसाफ के लिए क्या क्या करना पड़ा था, ये पूरा देश जानता है, ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं, जिन्हें नेता झूठला नहीं सकते।
इस केस में भी ठीक उसी तरह महिला का चाचा ससुर हरिनारायण सिंह यूपी में बीजेपी किसान मोर्चा मंडल अध्यक्ष है। पीड़ित के पति सतीश यानी इस परिवार के बेटे का कहना है कि उसके चाचा और उनके परिवार में और भी कई लोग बीजेपी के पुराने नेता हैं, पिता उमेश सिंह भी पहले बीजेपी नेता थे और अब भी उसकी कई विधायक व सांसदों के साथ दोस्ती है, थाने की पुलिस उसका खड़े होकर स्वागत करती है। अपने इसी रसूख की वजह से उमेश सिंह अपने पूरे परिवार व कुछ बाहरी लोगों के साथ कभी भी देवरिया आ जाता है और सतीश व उसकी पत्नी मोनिका के साथ जीभर के मारपीट करके चला जाता है, पीड़ित पुलिस से कार्यवाही के लिए कहते हैं तो वो बोलते हैं आरोपी मिलेंगे तो पकड़ लेंगे।
अब हद तो तब पार हो गई है जब सतीश के परिवार पर आधी रात के समय सोते वक्त जानलेवा हमला हुआ है, जो उमेश सिंह ने अपने परिवार के साथ मिलकर किया है, पहले दोनों की बांधकर पिटाई की, फिर महिला के शरीर को कई जगह नोच खाया, प्राइवेट पार्ट में पहले रॉड और फिर लंबा डंडा डालकर मरने को छोड़ दिया, इतने से भी गुस्सा ठंडा नहीं हुआ तो महिला के पेट को चाकुओं से गोद डाला और सब भाग गए। इस मामले में देवरिया के एसपी संकल्प शर्मा ने पूछने पर कहा कि एक पीड़िता द्वारा अपने परिवारजनों सास-ससुर, देवर-ननद इत्यादी पर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं। इस संदर्भ में मदनपुर थाना में सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया जा चुका है और विवेचना चल रही है। तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी, कार्यवाही मतलब गिरफ्तारी होगी, लेकिन 4 दिन बीतने पर भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। पूरा परिवार फिलहाल अस्पताल में ईलाज करवा रहा है और सबसे ज्यादा हैरानी इस बात की है कि एसपी ने रटा रटाया शुद्ध हिंदी वाला बयान तो दिया, लेकिन ये नहीं बताया कि इस महिला व उसके पति ने आरोपियों के खिलाफ अब तक 10 एफआईआर दर्ज कराई हुई हैं। जिनमें से आरोपियों की एक बार भी गिरफ्तारी नहीं की गई। जब आरोपी खुलेआम देवरिया आकर पीड़ितों को बार बार मार सकते हैं, रेप कर सकते हैं तो फिर उन्हें पकड़ना कैसे मुश्किल हो सकता है।
आरोप करने वाला चाहें नेता हो, चाहें कोई साधारण इंसान, कानून सबके लिए अलग अलग हैं या फिर एक समान, दूसरी बात ये है कि शायद ये सिक्के का सिर्फ एक पहलू हो और पीड़ित पक्ष कुछ सच्चाई छिपा रहा हो, लेकिन महिला को चाकुओं से गोदना और उसके प्राइवेट पार्ट में डंडा डालने वाली तस्वीर भला कैसे झूठी हो सकती है। इतनी सारी एफआईआर के बावजूद कोई गिरफ्तारी न होना पुलिस की साख पर सीधे उंगली उठाती है।
अंत में इतना ही लिखूंगा कि इस महिला के इतने प्रयासों, लंबे संघर्ष और आबरू खोने के बाद भी यदि एक अबला नारी इंसाफ से वंचित रहती है तो फिर वो दिन दूर नहीं जब हर छोटे से छोटा बदमाश भी राजनीतिक पार्टियों में शामिल होगा और बड़े बड़े शेर, स्टार और तलवार जैसे चिह्न लगाने वाले रक्षक मजबूरन अपने कंधों पर पार्टी के चिह्न लगाना शुरू कर देंगे या फिर सीधे नेताओं के नाम लिखना शुरू कर देंगे।
नोट:- ये लेख प्रवीण कुमार ने पीड़ित पक्ष से बातचीत व पीड़ित द्वारा की गई अनगिनत शिकायतों को पढ़ने के बाद लिखा है। खबर सोशल मीडिया से सामने आई है स्पेशल कवरेज न्यूज इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है।