चंपत राय पर अपनी जमीन हड़पने का आरोप लगाने वाली महिला अलका लाहोटी को ही उल्टा फंसा दिया
चंपत राय पर अपनी जमीन हड़पने का आरोप लगाने वाली महिला अलका लाहोटी को ही उल्टा फंसा दिया गया है
गिरीश मालवीय
अलका लाहोटी ने श्री राम मंदिर तीर्थ निर्माण क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर अपने भाइयों के माध्यम से 50 करोड़ रूपये की जमीन कब्जा कराने का लगाया था, अलका लाहोटी के इस बयान और उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज के आधार पर पत्रकार विनीत नारायण ने 17 जून को इस घटना को फेसबुक पर पोस्ट कर दिया था। चंपत राय का नाम जुड़ा होने के कारण यह राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ गया था।
लेकिन अब पता चला है कि अलका लाहौटी जिस श्रीकृष्ण गोशाला की वह अध्यक्ष थी उस गोशाला कमेटी ने अलका लाहोटी को संस्था के अध्यक्ष पद से हटा दिया है गोशाला कमेटी ने अलका लाहौटी पर 50 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया है। लाहोटी पर गोशाला सोसाइटी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अपने पद का दुरूपयोग कर लगभग तीन करोड़ रूपये का हेरफेर करने का भी आरोप भी लगाया है, श्रीकृष्ण गौशाला कमेटी में कुल 20 सदस्य हैं। कमेटी के 12 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है।श्रीकृष्ण गोशाला कमेटी की संरक्षक रेणुका शर्मा भी इस कमेटी की एक सदस्य हैं। उन्होंने अमर उजाला अखबार को बताया कि अलका लाहोटी इस संस्था के अध्यक्ष के रूप में पिछले तीन साल से काम कर रही थीं उन्होंने गोशाला की एक भूमि से मिट्टी हटाने का सौदा बिना कमेटी की अनुमति के कर दिया था। रेणुका शर्मा का आरोप है कि इस मिट्टी बिक्री से उन्होंने लगभग एक करोड़ रूपये अपने नाम हड़प कर लिए हैं। रेणुका शर्मा के मुताबिक जब अलका लाहोटी को कमेटी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, तब इस गोशाला में 153 से अधिक गायें, बैल और कई अन्य गोवंश थे। इनमें से ज्यादातर गोवंश गौ तस्करों से बरामद किए गए थे। लेकिन अब मौके पर पाया गया है कि संस्था में केवल 92 गौवंश ही बचे हैं। बाकी गौवंश के गायब होने को लेकर अलका लाहोटी पर कई गंभीर आरोप हैं जिनकी जांच की जा रही है।
अब कहा जा रहा है कि जमीन भी उनकी नही है अलका लाहोटी सबको यही बताती थीं कि यह श्रीकृष्ण गोशाला उनके पिता वीरेंद्र कुमार लाहोटी ने खुलवाया था। लेकिन अब सामने आया है कि 1953-54 में इस गोशाला के लिए स्थानीय लोगों ने भूदान किया था। अलका लाहोटी के पिता वीरेंद्र कुमार लाहोटी एक अग्रणी वकील और वरिष्ठ समाज सेवी थे। उन्होंने इस गोशाला के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन उन्होंने गोशाला के लिए पूरी भूमि दान नहीं की थी। इस गोशाला के नाम पर बिजनौर के लोगों के द्वारा 450 बीघे की भूमि दान की गई थी। 280 बीघे भूमि गोशाला से लगभग 10 किलोमीटर दूर मिट्ठूपुर गांव में है। शेष 170 बीघे पर गोशाला बनी हुई है। इसी हिस्से में एक कृष्ण गोपाल महाविद्यालय बना दिया गया है, जिसकी भूमि को वापस पाने के लिए पूरा विवाद खड़ा हुआ हैं