अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और प्रबंधन के लिए गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम जन्मभूमि के बचे हुए क्षेत्र के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है जो भव्य मंदिर निर्माण के बाद बचेगा। मास्टर प्लान के मुताबिक, राम मंदिर निर्माण के बाद जो जगह बची है, उसमें रामायण काल के संतों के मंदिर बनाए जाएंगे। ट्रस्ट के एक सदस्य ने कहा कि यह मास्टर प्लान मंजूरी के अंतिम चरण में है।
प्रस्ताव के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर के आसपास ऋषि वाल्मीकि, आचार्य वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र, अगस्त्य ऋषि, निषाद राज, जटायु और माता साबरी को समर्पित मंदिरों का निर्माण किया जाएगा।
बाकी जगह में तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था रहेगी। ट्रस्ट ने अन्य आकर्षणों के बीच यज्ञ मंडप, अनुष्ठान मंडप, संत निवास, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र और पुस्तकालय स्थापित करने की भी योजना बनाई है।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, राम जन्मभूमि परिसर में तीर्थ सुविधा केंद्र, अन्य उपयोगिताओं और बुनियादी सुविधाओं की सेवाओं का निर्माण कार्य पहले ही शुरू हो चुका है। राम मंदिर दिसंबर 2023 में खुलने वाला है।
राम जन्मभूमि परिसर में तीर्थ सुविधा केंद्र में जूते और अन्य सामान जमा करने की सुविधा, 5,000 भक्तों को समायोजित करने के लिए एक प्रतीक्षालय, पेयजल, शौचालय और अन्य उपयोगिताओं की सुविधा होगी।
राज्य सरकार ने अयोध्या के लिए सड़क चौड़ीकरण परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।
सरकार ने राम जन्मभूमि मंदिर क्षेत्र में सड़कों के सौंदर्यीकरण और चौड़ीकरण के लिए 797.68 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इसमें 12.940 किलोमीटर लंबे सहादतगंज-नया घाट मुख्य सड़क का निर्माण शामिल है।
क्षेत्र के विकास से तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर तक आसान पहुंच का मार्ग प्रशस्त होगा और भीड़भाड़ को रोका जा सकेगा।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर की ओर जाने वाले तीन रास्तों को पूरा करने की समय सीमा तय की है।
सरकार चाहती है कि दिसंबर 2023 में मंदिर का गर्भगृह भक्तों के लिए खोले जाने तक अयोध्या गलियारे की सड़क के तीनों हिस्से तैयार हो जाएं।