जेम पोर्टल में सरकार को दिखाने के लिए की जाती है फार्मेलिटी
निर्वाचन कार्यालय के बाबू ने खोली पोल, कैमरे में कैद हुआ भ्रष्टाचार
फ़तेहपुर । भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सरकार चाहे जितने जतन कर ले। सिस्टम में बैठे बाबू भ्रष्टाचार की जगह निकाल ही लेते हैं। सरकार ने लगभग सभी विभागों में ई टेंडर की ब्यवस्था कर रखी है। जहां जेम पोर्टल के माध्यम से आवेदनकर्ता किसी भी टेंडर में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। मगर यह सब सिर्फ लोगो के दिखाने के लिए है। क्यों कि मामला पहले से ही ऑफलाइन सेट हो जाता है। भ्रष्ट बाबुओं के पास हर समस्या का समाधान है वह कमीशनबाजी के चक्कर मे पहले ही अधिक कमीशन देने वाली फर्मो को सेट करके काम तय कर लेते हैं। जेम पर तो सिर्फ फार्मेलिटी होती है। ऐसा हम नहीं कह रहे जिला निर्वाचन कार्यालय के एक बाबू का कहना है।
बता दें कि जिला निर्वाचन कार्यालय से आगामी चुनाव के दृष्टिगत स्टैम्प, वोटर पर्ची, प्रिंटिंग, बैनर, फोटोकॉपी, बेवकास्टिंग, स्टेशनरी, वीडियोग्राफी आदि के लगभग एक दर्जन टेंडर निकले हैं। जिनमें किसी भी फर्म की भागीदारी की अंतिम तिथि 30 दिसम्बर है। टेंडर में भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक फर्म के संचालक विकास पांडे जिला निर्वाचन कार्यालय में जानकारी लेने पहुंचे तो वहां कहानी कुछ और ही निकली। पहले तो एक सीट से दूसरी सीट में बाबुओं ने टरकाया। बाद में एक बाबू ने कहा क्यों समय बर्बाद कर रहे हो। यहां पहले ही 28/10 को अधिकतर काम अप्रूवल हो गए हैं। छह काम नहीं मिलेंगे वह पहले से चल रहे हैं। उसने कहा टेंडर आलरेडी स्वीकृत हैं। टेंडर ऑलरेडी हो चुके हैं ये जेम पोर्टल पर सरकार को दिखाने के लिए फार्मेलिटी की गई है। इसलिए इस पर कोई गौर नही किया जा रहा। जब जानकारी लेने पहुंचे विकास पांडे ने पूछा कि मतलब ऑफलाइन पहले ही हो चुके हैं तो बाबू ने जवाब दिया कि हां सब काम चल रहा है देखो फोटोकॉपी हो रही है, जगह जगह बैनर लग रहे हैं। रबड़ स्टैंप का टेंडर हुआ है, लिया नही गया है। इसमे डाल सकते हो। जो लिए जा चुके हैं वह नही मिलेंगे। विकास ने फिर पूछा मतलब जो डालेंगे उनका क्या होगा तो बाबू ने जवाब दिया कि जेम पोर्टल पर जब प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो जो चल रहे हैं उनका होगा बांकी सभी टेंडर निरस्त कर दिए जायेंगे। मतलब कोई भी डालेगा निरस्त हो जाएगा।
अब भ्रष्टाचार की इंतेहा देखिए कि जिन कामो का टेंडर निकला है दर्जनो फर्म उसमे शामिल होंगी, टेंडर डालने की तिथि भी बांकी है। वह सभी सिर्फ अपना समय बर्बाद करेंगी। बाबू के अनुसार तो पूरा मामला पहले से ही सेट है। ऐसे में यह कहना अतिसंयोक्ति नहीं होगा कि टेंडरों में कमीशनबाजी जमकर हावी है और जेम पोर्टल भी महज़ मज़ाक बनकर रह गया है।
इस बाबत जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे से बात करने का प्रयास किया गया मगर उनके एक बैठक में होने की वजह से बात नहीं हो पाई।