कोतवाली पुलिस गौहत्यारों पर मेहरबान, छोड़कर बेच दिया अपना ईमान

छापा मारकर मांस व चाकू चापड़ सहित पकड़े गए थे आरोपी

Update: 2021-09-15 09:39 GMT

फ़तेहपुर । पुलिस अधीक्षक के प्रयासों के बावजूद खाकी के खिलाड़ी आये दिन खाकी को दागदार करने से बाज नहीं आ रहे। पुलिस अधीक्षक की सख्ती के बावजूद जिले की खाकी में कोई सुधार नहीं आ रहा। गोकसी, रोड वसूली में संलिप्तता, अपराधियो की बिक्री निर्दोषों को सजा, आये दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।

पुलिस अधिकारियों का पर्यवेक्षण भी शिथिल हो गया है यही वजह है कि दरोगा फर्जी बम गांजा अवैध असलहा, फर्जी गुडवर्क करने से भी पीछे नहीं हट रहे, जिले के कुछ थाने फर्जी सुतली बम के गुडवर्क में कुख्यात भी हो चुके हैं। जिले की औंग, खखरेरु, थरियांव व असोथर पुलिस ने वर्दी में धब्बा लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। अब कोतवाली पुलिस ने भी अपनी बेजा हरकत से वर्दी को शर्मसार किया है। कोतवाली पुलिस पर गोकसो को पकड़कर रिश्वत लेकर छोड़ने के गम्भीर आरोप लगे हैं।

जानकारी के अनुसार छह सितंबर को आबूनगर चौकी इंचार्ज विद्या प्रकाश सिंह को सूचना मिली कि सैय्यद वाड़ा में एक स्थान से गोमांस की बिक्री हो रही है। एसआई ने कोतवाली के एक दरोगा व मय हमराहियों सहित उक्त स्थान पर छापा मारा। कई वाहनों से पहुंचकर पुलिस ने उक्त स्थान को घेर लिया और मौके से लगभग आधा दर्जन लोगों को मय चाकू चापड़ व मांस के साथ हिरासत में ले लिया।

सभी आरोपियों को पुलिस ने कोतवाली के लॉकअप में बंद कर दिया। फिर कोतवाली पुलिस के एक कमाऊ पूत सिपाही ने पूरे मामले को ऊंचे दाम में शहर के एक जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि के करीबी के माध्यम से सेट करवाया। जिसके बाद कोतवाल अनूप सिंह द्वारा लगभग सभी गोकसी के आरोपियों को बिना कोई कार्रवाई किये छोड़ दिया गया। सभी आरोपियों में एक अफसर पुत्र शकील निवासी हसवां थरियांव थाने से गोकसी में भी वांछित था जिसे 7 सितंबर को थरियांव क्षेत्र से गिरफ्तारी दिखाकर गोवध अधिनियम व पुलिस मुठभेड़ में जेल भेज दिया गया।

अब भ्रष्टाचार के मामले में कोतवाली और थरियांव पुलिस की जुगलबंदी तो देखिए कि जितने लोगो की सेटिंग हो गई वह कोतवाली पुलिस ने छोड़ दिये, बांकी एक को थरियांव क्षेत्र से गिरफ्तारी दिखाकर थरियांव थाने के उपनिरीक्षक अभिषेक ने गोवध में जेल भेज दिया। गोकसी के आरोपियों को छोड़ने में गर्दन फंसती देख कोतवाली पुलिस का तर्क है कि यह छापेमारी अफसर निवासी हसवां को पकड़ने के लिए की गई थी। तो सवाल यह उठता है कि कोतवाली क्षेत्र में हुई दर्जनो घटनाओ के खुलासे में स्थानीय पुलिस नाकाम है वह कबसे इतनी सक्रिय हो गई कि थरियांव थाने के वांछित को पकड़ने में इतनी रुचि दिखाया।

खैर वह भी मान लिया जाए तो अन्य आधा दर्जन लोगों को कोतवाली पुलिस उठाकर क्यों थाने ले गई। जब मांस चाकू चापड़ सब मौके पर मिला तो वह मासूम और निर्दोष कैसे हो गए। सामान्य तू तू मैं मैं में कोतवाली लाये गए लोगों पर बिना निरोधक कार्रवाई किये बिना पुलिस छोड़ने से स्पष्ट मना कर देती है। निर्दोषों का आये दिन 151, 107/16 थानों से हो रहा है ऐसे में उन आरोपियों पर जो मांस व काटने के हथियारों सहित पकड़े गए थे उन्हें कोतवाली पुलिस ने बिना निरोधात्मक कार्रवाई किये कैसे छोड़ दिया।

ऐसा विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अगर एसपी राजेश सिंह इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराते हैं तो पूरे खेल से पर्दा उठ जाएगा। थाने के सिपाही शरद की कॉल डिटेल व थाने की सीसीटीवी की जांच पुलिस अधीक्षक करवा लें तो पूरा मामला स्वतः उजागर हो जाएगा। ये अलग बात है कि खबर प्रकाशन के बाद सीसीटीवी बिगड़ जाए या उस दिन की रिकार्डिंग गायब कर कैमरा ही खराब बता दिया जाये।

वहीं बता दें कि जिले के ललौली थाना क्षेत्र के तपनी, असोथर के जानिकपुर, खखरेरु के पौली, थरियांव व कोतवाली क्षेत्र में हो रही भारी पैमाने पर गोकसी व स्थानीय पुलिस की संलिप्तता के मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी ने संज्ञान लिया है। उन्होंने पूरे प्रकरण पर कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

इस बाबत पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि गोकसी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगी। जहां भी पुलिसकर्मियों की संलिप्तता मिली है उन पर कार्रवाई की गई है इस प्रकरण की भी जांच करवाएंगे। जिन पुलिसकर्मियों की संलिप्तता पाई जाएगी उन पर कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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