फतेहपुर में संदिग्ध मौतों पर महाभारत, कहीं अशिक्षा और वैक्सीन के प्रति अविश्वास तो नहीं बना मौत का कारण

- एक ही गांव में सौ मौतों की बनी थी सुर्खियां, प्रशासनिक आंकड़े 37 के?

Update: 2021-05-24 11:54 GMT

विवेक मिश्र

फतेहपुर । जनपद का ललौली गांव अचानक प्रदेश व देश की मीडिया में इन दिनों सुर्खियों पर है। कई दर्जन मौतों के बाद गांव में राजनीतिक पार्टियों के दौरे प्रारम्भ हो गए हैं। नेता अपनी तरह से मौतों पर सरकार को घेरने में जुट गए हैं। कुछ मीडिया संस्थानों का दावा है कि ललौली गांव में सौ से ऊपर मौतें कोरोना या उससे मिलते जुलते लक्षणों से हुई हैं। जबकि प्रशासन ने गम्भीरता नहीं दिखाई। हालांकि इसमें स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही निश्चित तौर पर है। मगर सिर्फ प्रशासनिक कमी से ऐसा हुआ है ये कहना जल्दबाजी होगा। चूंकि इस गांव में अधिकतर लोग एक वर्ग विशेष के निवास करते हैं जिनमे वैक्सीनेशन के लिए भ्रांतियां फैली हैं। बीमार होने पर कोरोना का टेस्ट करवाने भी लोग नहीं जाते। ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि लोगों को वैक्सीनेशन और कोरोना की आक्रामकता के बारे में जागरूक करें ताकि लोग किसी के बहकावे में न आएं और भ्रांतियों से दूर होकर वैक्सीनेशन करवाएं, लेकिन सिर्फ प्रशासन और सरकार पर ठीकरा फोड़ना भी उचित नहीं होगा स्थानीय लोगों को कोरोना के प्रति गम्भीर होकर वैक्सीनेशन में सहयोग करना होगा।

हालांकि डीएम अपूर्वा दुबे, एसपी सतपाल अंतिल व सीडीओ सत्यप्रकाश ने स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ गांव में घूम घूमकर निरीक्षण किया। लोगों से गांव की अब्यवस्थाओ के बारे में जानकारी ली। और गांव में बीते दो माह के अंदर मृत हुए लोगो की सूची बनवाई। जिसके बाद उन्होंने बताया कि 37 लोगों की मृत्यु लगभग दो महीनों में हुई है जिनमे किसी ने कोरोना का टेस्ट नहीं कराया। ऐसे में कोरोना से मौत होना नहीं कहा जा सकता। सही कारणों के तलाश के लिए स्वास्थ्य टीमो को लगाया गया है। अन्य बीमारियों से भी मौत होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

बता दें कि ललौली ग्राम पंचायत विकासखंड असोथर की तकरीबन 50 हजार की आबादी वाली सबसे बड़ी पंचायत है। यमुना तटवर्ती व बड़ी आबादी वाला क्षेत्र होने के कारण समस्याएं भी इस क्षेत्र में जटिल हैं। गांव के ज्यादातर लोग एक वर्ग विशेष से आते हैं जिनमे साक्षरता की कमी है। वहीं ज्यादातर लोग मुंबई व गल्फ के देशों में कमाने हेतु निर्भर है। यमुना पट्टी के इस गांव में 100 से ऊपर कथित मौतों का मामला जब मीडिया में सुर्खियां बना तो प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। जिसके बाद पूरी प्रशासनिक मशीनरी व स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव की जमीनी हकीकत जानने में जुट गई । संक्रमण से बचाव के लिए गांव में साफ-सफाई के साथ-साथ सेनेटाइजेशन का कार्य कराया गया है।

सरकारी टीमों ने गांव का सर्वे करते हुए मृतकों की संख्या का आंकड़ा जुटाया तो मालूम चला की बीते डेढ़ माह में 50 हजार आबादी के गांव में लगभग 40 मौतें हुई हैं। जिसमे 37 नाम कन्फर्म हो चुके हैं जिनमें ज्यादातर लोग 50 वर्ष की उम्र से अधिक है जिनमें मधुमेह, हॉर्ट अटैक, कैंसर, खून की कमी, प्लेटलेट्स गिरने व ऑपरेशन के दौरान मौत होने की पुष्टि हुई है। जिसका नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान शमीम ने सत्यापन किया। ग्राम प्रधान व सरकारी मशीनरी द्वारा जुटाए गए आंकड़ों में ग्रामीणों के बीच से बहुत भ्रामक तथ्य खुलकर सामने आए। जिसमे एक ब्यक्ति ऐसा भी निकला जिसने अपने घर मे चार मौतें होने का मीडिया के प्रसारित वीडियो में दावा किया था जबकि उसके घर मे एक भी मौत नहीं हुई उसने कहा मैने सोचा गांव मीडिया में सुर्खियां बनेगा तो गांव चर्चा में आ जायेगा जिससे विकास तो हो जाएगा। उधर प्रधान ने भी पहले हवा हवाई बयानबाजी करके राजनीति को गर्मा दिया था।

लेकिन सच्चाई यह है गांवों में टीकाकरण को लेकर अफवाह फैल गई थी कि इससे बुखार आता है और फिर मौत हो जाती है। इस वजह से गांव में चार चार बार कैंप लगने के बाद भी लोगों ने टीकाकरण में सहयोग नहीं किया। गांव में लोगों ने कोबिड 19 की प्रारंभिक जांच नहीं करवाई और अपने को भगवान के भरोसे छोड़ दिया। वहीं कथित तौर पर 100 लोगों की मौतों की खबर प्रसारित की गई, जिस पर शनिवार को जिला प्रशासन ने स्थिति साफ कर दी। डीएम अपूर्वा दुबे ने मजिस्ट्रेट लगाकर सर्वे कराया, और सत्यापन में मरने वालों की संख्या 37 पाई। खास बात यह है कि मरने वाले किसी भी व्यक्ति व उसके घर में कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट नहीं है।

- मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है गांव

यमुना नदी के किनारे बसा 50 हजार से ज्यादा आबादी वाला ललौली गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है। चिकित्सा के नाम पर इस गांव में एक प्राथमिक स्वस्थ केंद्र भले ही है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र में महज़ दो लोगों का स्टाफ़ है, जो मरीजों को ऑनलाइन दिखवाते हैं। लोगों ने बताया कि यह स्वास्थ्य केंद्र सुबह खुलता है और शाम को बंद हो जाता है। जिसका ज्यादा लाभ मरीज को नहीं मिल पाता, जो सिर्फ ढाक के तीन पात साबित हो रहा है।

- कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने ललौली गांव का किया दौरा

ललौली में 100 कथित मौत के मामले में अब सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के निर्देश के पर राकेश सचान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ललौली गांव पहुंचा। जहां ग्रामीणों से मिलकर उनका हाल जाना। इस दौरान राकेश सचान ने योगी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए लचर ब्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह उठाया। उन्होंने कहा लोग आक्सीजन की कमी से मरते रहे जबकि सरकार आंकड़े बाजी को दुरुस्त करने में लगी रही। उधर जिलाध्यक्ष कांग्रेस अखिलेश पांडे व उनकी टीम को पुलिस ने जिला कार्यालय में ही नजरबंद कर दिया जिससे वह लोग ललौली नहीं पहुंच पाए।

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