एनजीटी कोर्ट की प्रशासन को फटकार, कहा ये बड़े भ्रष्टाचार का मामला है
- सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने दिए कठोर कार्रवाई के संकेत
फ़तेहपुर । जनपद की अढ़ावल खण्ड 11 मोरंग खदान में दिसम्बर माह में जलधारा बांधकर जमकर अवैध खनन किया गया था। जिसे तत्कालीन प्रशासन ने हल्का करके निपटाने की कोशिश की थी। इस मामले का एनजीटी में केस पर्यावरण प्रेमी विकास पांडे द्वारा दर्ज कराया गया था। जिस पर 7 जनवरी को पहली सुनवाई हुई थी। इस दौरान कोर्ट के निर्देश पर गहनता से जांच के लिए राज्य पीसीबी व जिला प्रशासन की संयुुक्त टीम गठित की गई थी। जिसको दो महीने में कोर्ट में रिपोर्ट प्रेषित करना था और 9 अप्रैल को अगली बहस लगी थी।
9 अप्रैल को पूर्व निर्धारित दिन पर एनजीटी कोर्ट की प्रिंसिपल बेंच में समय 11 बजकर 37 मिनट में मामले की सुनवाई प्रारम्भ हुई जो लगभग पन्द्रह मिनट चली। सुनवाई चार न्यायाधीशों चीफ जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, ज्यूडिशियल मेम्बर जस्टिस सुधीर अग्रवाल, ज्यूडिशियल मेम्बर जस्टिस ब्रजेश सेठी, एक्सपर्ट मेम्बर डॉ नगीन नंदा ने की। माननीय न्यायालय के सामने शासन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आपके निर्देश पर पूरे प्रकरण की जांच पूरी हो चुकी है जिसकी रिपोर्ट आपके समक्ष प्रेषित है।
अब यह मामला समाप्त करने योग्य है। पट्टेधारक पर पर्याप्त जुर्माना लगाया जा चुका है। जिस पर न्यायालय ने दोनो वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा कि आपकी रिपोर्ट के प्रति उत्तर में जो साक्ष्य विकास पांडे ने प्रस्तुत किये हैं उससे ये बड़े भ्रष्टाचार का मामला प्रतीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि जलधारा बांधकर धारा परिवर्तित करने का मामला आपको छोटा लग रहा है। कोर्ट की फटकार के बाद वकीलों की घिघ्घी बंध गई। कोर्ट ने मामले में अगला आदेश सुरक्षित कर लिया है।