हाथरस कांड LIVE: सीबीआई की टीम 'मौका ए वारदात' पर, फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी साथ

सीबीआई की जांच टीम पीड़िता के गांव पहुंची है. टीम घटनास्थल पर पहुंची है और सबूत इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है.

Update: 2020-10-13 06:21 GMT

हाथरस गैंगरेप कांड को लेकर अब एक्शन होना शुरू हो गया है. सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले को सुना, जिसमें पीड़ित परिवार ने अपना दर्द अदालत के सामने बयां किया. दूसरी ओर सीबीआई की जांच टीम पीड़िता के गांव पहुंची है. इस टीम में फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी हैं. ये टीम घटनास्थल पर पहुंची है और सबूत इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है.

 हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने हाईकोर्ट से अपील की है कि एसआईटी की रिपोर्ट को मीडिया में ना दिया जाए. अभी ये अपील मौखिक तौर पर की गई है, जल्द ही इसको लेकर याचिका की जाएगी. जिसमें केस की प्राइवेसी, ट्रांसफर की बात कही जाएगी.

हाथरस में पुलिस की टीम मौका ए वारदात पर पहुंच गई है. अब से कुछ देर में सीबीआई की टीम भी क्राइम सीन पर पहुंचेगी.

हाथरस कांड की जांच पूरी होने तक सीबीआई यहां पर अपना एक अस्थाई कार्यालय बनाएगी. सीबीआई जल्द ही पीड़िता के परिवार से मुलाकात भी करेगी.

सीबीआई की टीम कभी भी क्राइम सीन पर पहुंच सकती है. गांव में भारी सुरक्षा तैनात कर दी गई है. बीते दिन ही सीबीआई ने पूरा केस अपने हाथ में लिया है, जहां केस से जुड़े सभी कागजात और केस डायरी को खंगाला गया.

हाथरस गैंगरेप कांड की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली है. स्थानीय पुलिस स्टेशन से केस से जुड़े कागजात इकट्ठे किए जा चुके हैं. बता दें कि अभी इस मामले में प्रदेश सरकार द्वारा गठित एसआईटी की पूछताछ भी चल रही है, जिसे दस दिन का एक्सटेंशन मिला था.

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की सख्ती

सोमवार को हाई कोर्ट में हाथरस कांड की सुनवाई हुई. इस दौरान पीड़ित परिवार ने अपना बयान अदालत के सामने दर्ज कराया, जिसमें आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन ने बिना उनकी सहमति के जल्दबाजी में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया. पीड़िता के परिवार की वकील सीमा कुशवाहा के मुताबिक, अदालत ने इस दौरान सरकार के प्रतिनिधियों से सख्त सवाल पूछे जिनका उनके पास कोई जवाब नहीं था.

हाई कोर्ट की ओर से जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने, अंतिम संस्कार करने के तरीके और परिवार से अनुमति ना लेने पर फटकार लगाई गई. परिवार की ओर से जो आरोप लगाए गए हैं, उनपर अब दो नवंबर से बहस शुरू होगी. दूसरी ओर 15 अक्टूबर को इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है, जहां यूपी सरकार की ओर से परिवार की सुरक्षा के बारे में जानकारी दी जाएगी.

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