Hathras Case: गांव में अभी सिर्फ मीडिया को परमिशन, मां ने मीडिया के सामने रोते हुए कही ये बात

सदर एसडीएम ने कहा, 'परिवार के सदस्यों के फोन हटाने या उन्हें उनको घरों में कैद करने के बारे में सभी आरोप बिल्कुल निराधार हैं

Update: 2020-10-03 06:36 GMT

हाथसर: उत्तर प्रदेश स्थित हाथरस (Hathras News) में मीडिया पर लगी रोक को हटा लिया गया है. इस बाबत जॉइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने जानकारी दी. बता दें प्रशासन ने हाथरस में कथित रेप पीड़िता के गांव में मीडिया के जाने पर रोक लगा रखी थी.

इससे पहले प्रशासन का तर्क था कि अगर मीडिया को अनुमति दी जाएगी तो स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की जांच में बाधा पहुंच सकती है. जॉइंट मजिस्ट्रेट मीणा ने बताया कि 'मीडिया कर्मियों को गांव में जाने की अनुमति दे दी गई है.' उन्होंने कहा कि 'गांव में एसआईटी की जाँच पूरी हो चुकी है, ऐसे में मीडिया पर प्रतिबंध हटा दिया गया है. 5 से अधिक मीडियाकर्मियों को अब इकट्ठा होने की अनुमति है.'

पीड़िता के गांव में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मंडलों की आमदरफ्त पर जॉइंट मजिस्ट्रेट ने कहा कि 'अभी केवल मीडिया को अनुमति है. जब प्रतिनिधिमंडल को अनुमति देने के आदेश आएंगे, तो हम सभी को बताएंगे.' उन्होंने कहा कि 'परिवार के सदस्यों के फोन छीनने या उन्हें घरों में कैद करने के बारे में सभी आरोप बिल्कुल निराधार हैं.'

हमारा नहीं DM-SP का हो नार्को टेस्ट- परिजन

वहीं राज्य सरकार द्वारा नार्को टेस्ट कराए जाने के आदेश पर पीड़िता के परिजनों ने कहा कि डीएम और एसपी को नार्को टेस्ट कराना चाहिए क्योंकि वे झूठ बोल रहे हैं. पीड़िता की भाभी ने कहा कि 'हमारे परिवार से किसी भी राजनीतिक नेता ने फोन पर बात नहीं की. उन्होंने कहा, 'राजनेता सिर्फ राजनीति करना चाहते हैं, मुझे नहीं लगता कि वे किसी नेक इरादे के लिए यहां आ रहे हैं.'

इसके साथ ही पीड़िता की मां ने कहा कि यूपी प्रशासन ने मुझे अपनी बेटी का शव नहीं दिया. पीड़िता की मां ने कहा, 'मैं भीख मांगती रही. हम सीबीआई जांच नहीं चाहते.' उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में मामला चले

गौरतलब है कि 14 सितम्बर को हाथरस में चार युवकों ने 19 वर्षीय दलित लड़की से कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया था और मंगलवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसकी मौत हो गई जिसके बाद बुधवार की रात को उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें रात में अंतिम संस्कार करने के लिए बाध्य किया.

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