हाथरस के जिलाधिकारी ने तानाशाही की सभी हदें पर कर दी. जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था में रेप पीड़िता का परिवार अपना दर्द नहीं बयां कर सकता वहीं गाँव के किसी आदमी को बाहर नहीं जाने दिया जा रहा.
अब हद तो तब हो गई जब मीडिया को अंदर नहीं आने दिया जा रहा है. डीएम साहब सच की गर्दन तब तक दबाओगे जब तक कि उसकी दम घुटने से मौत ना हो जाए. और फिर होगा आपके खिलाफ जांच का सिलसिला शुरू जो आपको किसी हद तक ले जा सकता है. चूँकि इस समय जिले के मुखिया आप हो जैसे चाहे वैसे आप इसको घुमा लीजिये लेकिन गरीब की लाठी अब आवाज करने वाली है और आप एक बार सहन नहीं कर पाओगे.
हाथरस जिलाधिकारी के लगातार गलत बयानी की वीडियो आ रहे है. आज फिर पीडिता के ताऊ के सीने पर लात का वार किया है जिससे उन्हें बेहोश होने की बात सामने आई है. उधर हाथरस के उप जिलाधिकारी प्रेम प्रकाश मीणा ने कहा कि SIT टीम अंदर है, जांच चल रही है. जांच किसी तरह से प्रभावित न हो इसलिए दिशानिर्देश हैं और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है. इसलिए हमें तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को हाथरस बोर्डर पर रोक दिया है.
खैर जहां जांच शब्द आ जाता है तो उसका कोई तोड़ नहीं होता है. लेकिन जिस तरह से कल से लगातार यह कहकर किसी को भी परिजनों से नहीं मिलने दिया जा रहा है कि सीट जांच कर रही है. ये जांच कब तक चलेगी और क्या उसके बाद एंट्री शुरू हो जाएगी.
यहाँ बात एक और है कि लगातार ही पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्हें भी धमकाया जा रहा है. उन्हें गाँव में घुसने नहीं दिया जा रहा है. उनसे बदसलूकी भी की जा रही है क्यों?