गांव के गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं अनुदेशक विक्रम सिंह
9 हजार के अल्प मानदेय पर काम करते हुए भी पूरी तन्मयता और कर्तव्यनिष्ठा से बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाते हैं विक्रम सिंह।
कहते हैं जहां चाह, वहीं राह किसी भी काम को करने के लिए सुविधाओं की नहीं दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत होती है।शिक्षा पर केवल अमीरों का ही नहीं गरीब का भी हक होता है। सभी को समान शिक्षा मिले,शिक्षा पर सभी का अधिकार है।
कम मानदेय में भी पूरी निष्ठा से बच्चों को पढ़ाते हैं
कुछ इसी तरह के उद्देश्य को लेकर अपने कर्तव्यपथ पर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं ,गोरखपुर जनपद के चारगावां ब्लॉक के नारायणपुर कंपोजिट विद्यालय में पढ़ाने वाले खेल अनुदेशक विक्रम सिंह , कम सुविधाओं और अल्प मानदेय होने के बावजूद भी विक्रम सिंह अपने कर्तव्य पथ से कभी विचलित नहीं हुए। नियमित विद्यालय जाना और बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताना, रोज नई-नई जानकारियां से उन्हें अवगत कराना,खेल-खेल में उन्हें पढ़ाना विक्रम सिंह का रोज नित का काम है।
बच्चों की परेशानी को अपनी परेशानी समझते हैं।
अपने इन्हीं गुणों के कारण विक्रम सिंह बच्चों के बीच में काफी लोकप्रिय है। बच्चों के घर जाकर उनके माता पिता से मिलकर बच्चा क्यू पढ़ने नहीं आ रहा है? क्या घर में कोई परेशानी है? यदि कोई परेशानी है तो उसको दूर करके बच्चों को स्कूल ले आने का काम विक्रम सिंह करते हैं। बच्चों की परेशानी को अपनी परेशानी समझते हैं और उसे दूर करने की कोशिश करते हैं।अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते प्रदेश के 27000 अनुदेशकों की लड़ाई भी विक्रम मुखर होकर लड़ते हैं,चाहे उनके सत्रह हजार की लड़ाई हो या उनके नियमितीकरण की लड़ाई हमेशा खुद को आगे करके उनका हक दिलवाने का प्रयास करते हैं।
आज विक्रम सिंह की बच्चों के प्रति निष्ठा और कर्तव्यपरायणता की ही देन है कि उनके विद्यालय नारायणपुर से 4 बच्चों के चयन राष्ट्रीय आय एव योग्यता आधारित छात्रवृति परीक्षा में हुआ है अब तक कुल मिलाकर 14 बच्चों का चयन इस प्रतिष्ठित परीक्षा में हो चुका है । अब इन बच्चों को चार साल तक हर महीने एक हजार की छात्रवृति मिलेगी। विक्रम सिंह द्वारा पढ़ाए गए ये बच्चे किसी भी मायने में कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चों से कम नहीं हैं,इन बच्चों को सामान्य ज्ञान की जानकारी है चाहे वह सभी राज्यों की राजधानी हो,राज्यों के राज्यपाल का नाम हो,विश्व में कौन छोटा कौन बड़ा है, आदि कई तरह की जानकारी प्राप्त है। सच में अगर विक्रम सिंह जैसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अध्यापक जो इतने कम मानदेय पर भी पूरी निष्ठा के साथ बच्चों को पढ़ाता हो, हो जाएं तो इस देश की शिक्षा व्यवस्था सुधर जाए।