जौनपुर। जब पूरा सरकारी तंत्र ही भ्रष्टाचार में डूबा है तो न्याय की उम्मीद किससे की जाय। खासतौर पर बेसिक विभाग, यहां नित नये खेल का खुलासा हो रहा है। सभी विभागों का हेड होने के नाते डीएम का आदेश सबसे ऊपर होता है। लेकिन जिले के अधिकारी डीएम के आदेश के खिलाफ अपनी मर्जी चला रहे हैं। बेसिक शिक्षा का हाल सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिलाधिकारी के द्वारा जनता पूर्व माध्यमिक विद्यालय के कर्मचारियों के वेतन संबधित आवश्यक कार्यवाही करने के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। जिले के बीएसए और जनता पूर्व माध्यमिक विद्यालय अर्गुपुरकला के प्रबन्धक के सामने शायद डीएम के आदेश का कोई महत्व नहीं। यही वजह है कि देश के संकट काल में जनता पूर्व माध्यमिक अर्गूपुरकला के कर्मचारियों का दो महीने बाद भी वेतन नहीं मिल सका।
शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों से प्रबन्धक द्वारा अवैध वसूली करने व मानसिक रूप सें प्रताड़ित करने सम्बंध में प्रधानाध्यापक अमित कुमार सिंह ने बार- बार जिलाधिकारी सें दो महीने का वेतन न मिलने का प्रार्थना देकर शिकायत की। इसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय सें बेसिक शिक्षा अधिकारी व कार्यालय को आदेश देतें हुए कहा कि आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें एंव आख्या प्रेषित करें। लेकिन सप्ताह भर बाद बेसिक कार्यालय सें जनसुनवाई पोर्टल पर सूचना आई कि शिकायतकर्ता का विद्यालय अनुदानित है, जिसमे वेतन का भुगतान विद्यालय के मैनेजर द्वारा किया जाता है शिकायत कर्ता के प्रकरण में मैनेजर द्वारा जाँच की जा रही है।
प्रधानाध्यापक अमित कुमार सिंह ने बताया कि जो प्रबंधक हम समस्त कर्मचारियों का शोषण कर रहा है। क्या जाँचकर्ता और आरोपी एक ही उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं? और कोई दोषी नहीं ? उल्टा उसी को बेसिक शिक्षा कार्यालय सें जनसुनवाई पोर्टल के आदेश में जानकारी मिली कि वही जाँच कर रहा है। अब किससे न्याय कि उम्मीद कि जाए।
ज्ञात हो कि अध्यापकों के वेतन भुगतान अवैध रूप से रोकने वाले प्रबंधक के कारगुजारी के आगे डीएम का आदेश बौना साबित हो रहा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिवार्य शिक्षा कानून की धारा 24 व नियम 19 का पालन नही कर रहें है। इस धारा में अध्यापकों और बीएसए के कर्तव्य निर्धारित किया गया है।