तबलीगी जमात जौनपुर के प्रमुख नसीम अहमद की जुडिशियल कस्टडी में मौत पर सपा नेता आज़म खान ने की सीएम से ये मांग

Update: 2020-05-08 14:35 GMT

उत्तर प्रदेश समाजवादी अल्पसंख्यक सभा प्रदेश उपाध्यक्ष मोहम्मद आजम खान ने तबलीगी जमात जौनपुर के प्रमुख नसीम अहमद की जुडिशल कस्टडी में मौत की हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच व ₹2500000 मुआवजा की मांग की. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक मांग करते हुए पत्र लिखा है. 

सीएम को लिखी चिठ्ठी 

सेवा में,

माननीय मुख्यमंत्री जी,

उत्तर प्रदेश।

विषय: तबलीगी जमात जौनपुर के प्रमुख नसीम अहमद की जुडिशल कस्टडी में मौत की हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच व ₹2500000 मुआवजा की मांग के संबंध में।

महोदय,

अवगत कराना है कि तबलीगी जमात जौनपुर के प्रमुख नसीम अहमद 19 अप्रैल से न्यायालय जौनपुर के आदेश से अस्थाई जेल प्रसाद इंस्टिट्यूट, जौनपुर में पुलिस अभिरक्षा/न्यायिक हिरासत में थे। जहां उनकी मौत मंगलवार की रात (5 मई व 6 मई की रात) में हो गई।

इस संबंध में अवगत कराना है कि नसीम अहमद कार्डियक के गम्भीर पेशेंट थे और उनकी दिल की नसें 90% तक ब्लॉक थीं वे अपना इलाज PGIMS, Lucknow में करा रहे थे जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर -- 2018535434 दिनांक 21/06/2018 है। इसी संबंध में नसीम अहमद 07/03/2020 को सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली में प्रोफेसर Dr. M. Wali को दिखाने गए थे जिसका रजिस्ट्रेशन ID-MW2333 है। वे मार्च में इलाज कराने नई दिल्ली जाते हैं तो सरकार और जिला प्रशासन उनके दिल्ली जाने को जमात में मरकज में जाने से गलत ढंग से जोड़ा और उनके ऊपर महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया और जनपद के विभिन्न कालेजों में उनको कोरन्टाइन किया गया और बाद में IPC की धारा 307 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज किया गया तथा उन्हें 19 अप्रैल को न्यायिक हिरासत में स्थायी जेल भेज दिया गया। इतने गंभीर रूप से दिल के मरीज को बिना मेडिकल सुपर विजन के पुलिस अभिरक्षा/न्यायिक हिरासत में रखना प्रशासन की घोर लापरवाही है, प्रशासन को उनको मेडिकल सुपरविजन में अपनी अभिरक्षा में रखना चाहिए था। पुलिस अभिरक्षा में उन्होंने बार-बार तबीयत खराब होने की बात कही और अपनी सारी मेडिकल रिपोर्टस दिखाया लेकिन जेल व जिला प्रशासन ने उनकी एक बात न सुनी, जब ज्यादा तबीयत खराब हुई तो 28 अप्रैल को प्रशासन उन्हें BHU हास्पिटल, वाराणसी ले गया। लेकिन वहां भी सिर्फ खानापूर्ति की गई और वापस अस्थाई जेल में छोड़ दिया गया जहां उनकी मंगलवार की रात (5 मई व 6 मई की रात) में मौत हो गई। यह तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि नसीम अहमद गंभीर रूप से दिल के मरीज थे उन्हें सही तरह से इलाज की आवश्यकता थी लेकिन जेल व जिला प्रशासन ने घोर लापरवाही बरती इसलिए उनकी मृत्यु हुई। सर्वविदित है कि तबलीगी जमात और नसीम अहमद मुस्लिम समाज में जागरूकता का काम करते थे और किसी भी प्रकार की गैरकानूनी एवं राष्ट् विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं थे।

अब मेरी मांग है कि राज्य सरकार हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच कराएं और जो दोषी हो उन्हें कानून सज़ा दे और सरकार नसीम अहमद के परिवार को ₹2500000 (रुपया 25 लाख) मुआवजा राशि दे। उनके परिवार में उनके अलावा सब अभी छोटे-छोटे बच्चे हैं परिवार का भरण पोषण उनके ऊपर ही था।

सादर,

मोहम्मद आजम खान

प्रदेश उपाध्यक्ष

समाजवादी अल्पसंख्यक सभा, उत्तर प्रदेश

Tags:    

Similar News