क्षेत्र को गौरवान्वित कर रहा है मुंगरा बादशाहपुर का यह लाल, कई प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करके त्यागा फिर सीबीआई में ली जॉइनिंग
शोध की हुई प्रकाशित किताबें बीएचयू समेत दर्जनों विश्वविद्यालय में चल रही है-
मुंगराबादशाहपुर ( जौनपुर ) शिराज ए हिंद के पश्चिमी छोर पर स्थित सैय्यद मंसूर बाबा, फूल शाह बाबा, व बूढ़े बाबा, तथा शक्तिपीठ मां काली जी के आंचल में बसा हुआ नगर मुंगरा बादशाहपुर के मोहल्ला दर्जियान में जनपद जौनपुर के अजीम शायर कैस जौनपुरी ( मो. तैयब) के घर में एक ऐसा लाल पैदा हुआ। जिसने नगर ही नहीं पूरे जनपद को गौरवान्वित किया है। जो यहां युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं। हम बात कर रहे हैं, उस गुदड़ी के लाल की जिन्होंने 1993 -95 में हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा हिंदू इंटर कॉलेज मुंगरा बादशाहपुर से विद्यालय टॉप करके माता-पिता व गुरु सहित पूरे क्षेत्र का आप ने नाम रोशन किया था।
संघर्षों व आर्थिक स्थिति से जूझते हुए इन्होंने सीपीएमटी से BUMS एवं BAMS उत्तीर्ण किया परंतु धन का अभाव होने के कारण दाखिला नहीं लिया। उन्होंने अपनी पढ़ाई को अग्रसर रखने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से 1998 में बीए प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया। संघर्षों का दामन न छोड़ते हुए तत्पश्चात उन्होंने सन् 2000 में केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से एम. ए. उर्दू विषय से गोल्ड मेडल प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का परचम पूरे इलाहाबाद में लहराया। सन् 2001 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) ने उनको जूनियर रिसर्च फैलोशिप दी जो कि उस समय उर्दू विशेष से पूरे भारत में 7 लोगों को दी जाती थी जिसमें इनकी प्रथम रैंक थी।
क्या आप जानना चाहते हैं, वह गुदड़ी का लाल कौन है? वह कोई और नहीं बल्कि वर्तमान में सीबीआई सीनियर इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत जहीर अख्तर जी हैं यह वही शख्स है जो उस स्कॉलरशिप के बाद इलाहाबाद सन् 2005 में शोध पत्र जमा किया । इन्होंने सन 2001-2005 के बीच बीच में कई प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर जैसे पशुधन प्रसार अधिकारी, सेकंड लेफ्टिनेंट, (सीडीएस), एलआईसी (AAO), डिविजनल अकाउंटेंट( SSC), आदि में जॉइनिंग नहीं लिया। तत्पश्चात उन्होंने सन् 2003 बैच में सीबीआई की परीक्षा उत्तीर्ण करके जॉइनिंग लिया। वह जॉइनिंग से लेकर अब तक बहुत ही सराहनीय कार्य कर चुके हैं और सर्वश्रेष्ठ निरीक्षक का पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। शोध के प्राप्त अध्ययन को दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने अपनी पहली पुस्तक प्रकाशित की है जिसका टाइटल "उर्दू विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि" है।
इस पुस्तक में इन्होंने शोध के दौरान इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला है। जिसमें प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 और इलाहाबाद का योगदान, म्योर सेंट्रल कॉलेज के उर्दू शिक्षक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना, उर्दू विभाग की स्थापना एवं प्रमुख शिक्षकगण, इलाहाबाद का प्रारंभिक इतिहास, इलाहाबाद का मध्यकालीन इतिहास, ईस्ट इंडिया कंपनी की शैक्षिक गतिविधियां आदि बिंदुओं पर प्रकाश डाला । इनकी लिखी पुस्तक कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जैसे अलीगढ़ विश्वविद्यालय, मुस्लिम विश्वविद्यालय ,जवाहरलाल विश्वविद्यालय, जय बजरंग महिला महाविद्यालय व जामिया विश्वविद्यालय सहित दर्जनों विश्वविद्यालय में यह किताबें शिक्षण के लिए चल रही है। फिलहाल क्षेत्र वासियों को अपनी इस लाल पर बहुत ही गर्व है।