दस महीने से दिल्ली सीमा पर धरने पर बैठे किसानों से 26 जनवरी के बाद से वार्ता न करके केन्द्र सरकार किसानों की समस्या का हल न निकाल कर स्थिति को और विस्फोटक बनने दे रही है। किसानों की मांग है कि तीन किसान विरोधी कानून वापस लिए जांए व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अधिकार बनाया जाए। सवाल यह है कि केन्द्र सरकार तालिबान तक से वार्ता करने को तैयार है तो किसानों से बात कर समस्या का हल क्यों नहीं निकाल रही है?
3 अक्टूबर को गांधी जयंती के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र अशीष मिश्र की गाड़ी द्वारा कुचल कर तीन किसान मारे गए और एक किसान अशीष मिश्र द्वारा गोली चलाने से मारा गया। मरने वाले किसान हैं दलजीत सिंह, नछत्तर सिंह, गुरविंदर सिंह व लवप्रीत सिंह। पत्रकार रमन कश्यप, भाजपा के दो कार्यकर्ता श्याम सुंदर व शुभम मिश्र व अशीष मिश्र का चालक हरि ओम मिश्र भी प्रति हिंसा में मारे गए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि घटना की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जांच कर सत्ता पक्ष के जो लोग दोषी हैं उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो। किसानों का प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और उप मुख्यमंत्री का हेलीकाॅप्टर न उतरने देने के अपने प्रयास में सफल होने के बाद वे वापस लौट रहे थे जब आशीष मिश्र के लोग गाड़ियों के साथ किसानों को सबक सीखाने के उद्देश्य से वहां पहुंच गए जहां किसान प्रदर्शन कर रहे थे। अजय मिश्र टेनी लगभग हफ्ते भर पहले किसानों को धमकी दे चुके थे कि सुधर जाओ नही ंतो सुधार देंगे। साफ है कि किसानों के खिलाफ कार्यवाही बदले की भावना से हुई है और सत्ता पक्ष के लोगों ने किसानों को उकसाने का काम किया।
लखीमपुर खीरी की घटना के लिए पूरी तरह से केन्द्र सरकार जो किसान विरोधी कानून वापस न लेकर किसानों को आंदोलन करने पर मजबूर किए हुए है और राज्य सरकार जो किसान आंदोलन का दमन कर रही है जिम्मेदार हैं। हम नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग करते हैं। हरयाणा के मुख्य मंत्री जो भाजपा कार्यकर्ताओं को लाठी लेकर किसानों पर हिसंक कार्यवाही के लिए उकसा रहे हैं, भाजपा की मानसिकता को दर्शाता है।
अब यह स्पष्ट है कि भाजपा सरकारें किसान विरोधी हैं और इन्होंने सत्त मेें बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है।