बुलडोज़र चले, मोब लिंचिंग हो मगर मैं तो चुप ही ठीक हूँ
अगर ब हैसियत मुसलमान सांसद भी मुसलमानों के मुद्दों पर नहीं बोलेगा तो फिर मंगल ग्रह से कोई आएगा क्या बात करने!
आज के समय में मुसलमानों की राजनीतिक हालत ये हो गयी है कि दूसरों से उम्मीद तो बहुत बाद की बात है यहां मुस्लिम नामधारी सांसद ही मुस्लिम मुद्दों पर बोलने में कतराते हैं। कहने को तो इस बार विपक्ष ताकतवर हो गया है मगर मुसलमानों की प्रताड़ना पर भयंकर चुप्पी है।
हाल ही में यूपी की एक बेहद चिंताजनक रिपोर्ट सामने आयी है जिसमें खुलासा हुआ है कि योगी सरकार के कार्यकाल में अब तक 207 एनकाउंटर हुए है जिसमें 67 मुसलमानों का भी एनकाउंटर शामिल है। मगर मजाल है कि यूपी का कोई मुस्लिम सांसद इस मुद्दे पर रत्ती भर भी कुछ बोला हो।
यूपी के मुसलमानों को लगता था कि इस बार एक पढ़ी लिखी मुस्लिम लड़की इक़रा हसन संसद में नुमाइंदगी करेगी। समाज के मुद्दों पर मुखर होगी मगर बाकि नेताओं की तरह इनकी भी चुप्पी बहुत सारे सवालिया निशान खड़े करती है।
बुलडोज़र के सितम पर एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भाजपाई कुशासन में 'डेढ़ लाख घर ध्वस्त, 7 लाख लोग बेघर' हो चुके हैं मगर आप ने अभी तक एक भी मुस्लिम सांसद का ब्यान सुना हो तो बता सकते हैं।
अगर ब हैसियत मुसलमान सांसद भी मुसलमानों के मुद्दों पर नहीं बोलेगा तो फिर मंगल ग्रह से कोई आएगा क्या बात करने!
अगर हमारे नेता अपने समुदाय के मुद्दों पर ख़ामोशी को अपनी राजनीतिक ताकत समझते है तो मुझे लगता है ऐसे सांसदों का होना न होना एक बराबर ही है।
समाज का राजनीतिक उत्थान तो तब होगा जब आप मिल कर अपने समाज के लिए कार्य करोगे मगर अपने समाज से ही दगा करना आज के समय में मुस्लिम नेताओं के लिए फैशन बन चुका है।