25 जनवरी 2005, इलाहाबाद का हर चौराहा तिरंगे झंडों से पटा पड़ा था। दोपहर 3 बजे इलाहाबाद शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल कचहरी से निकले। साथ में दो गाड़ियां चल रही थी। क्वालिस और स्कॉर्पियो। राजू पाल काफिले की क्वालिस खुद चला रहे थे। बगल वाली सीट पर रुखसाना को बैठाया था। रुखसाना राजू के दोस्त की पत्नी थी जो रास्ते में मिल गई थी।
गाड़ी का शीशा चीरते हुए एक गोली सीने में जा धंसी
काफिला सुलेमसराय के जीटी रोड पर था तभी बगल से तेज रफ्तार स्कॉर्पियो राजू पाल की गाड़ी को ओवर टेक करते हुए आगे आ गई। राजू कुछ समझ पाते इसके पहले ही एक गोली सामने का शीशा चीरते हुए उनके सीने में घुस गई। धड़धड़ाते हुए स्कॉर्पियो से पांच हमलावर उतरे। तीन ने राजू पाल की गाड़ी को घेरकर फायर करना शुरू किया और बाकी दो ने पीछे चल रही स्कॉर्पियो पर। गोलियों की तड़तड़ाहट सुनकर आसपास के लोग घटना स्थल की तरफ भागे, जो घटना स्थल पर थे वे दूसरी तरफ भागे।
घटना को 17 साल बीते लेकिन न्याय नहीं मिल पाया
हमलावरों को जब लग गया कि राजू की सांसे थम गई हैं, तब वे भागे। धूमनगंज पुलिस आई। टैक्सी से राजू को लेकर एसआरएन भागी। डॉक्टरों ने हाथ जोड़ लिए। पोस्टमार्टम हुआ तो 19 गोलियां निकलीं। साथ बैठे संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई। पुलिस ने उस वक्त के सपा सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, फरहान, रंजीत पाल, आबिद, गुफरान के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया। आज तक फैसला नहीं सुनाया जा सका।
कभी अतीक अहमद के ही साथ करते थे काम
अतीक अहमद के सांसद बनने से शहर पश्चिमी सीट खाली हो गई। उपचुनाव हुआ तो अतीक के भाई अशरफ को बसपा के राजू पाल ने हरा दिया। इस हार के बाद जो राजू पाल कभी अतीक अहमद के खास हुआ करते थे, वे एक झटके में सबसे बड़े दुश्मन बन गए थे। विधायक बनने के तीन महीने बाद 15 जनवरी 2005 को राजू ने पूजा से शादी की। 25 जनवरी को उनकी हत्या कर दी गई। पूजा उसी सीट से 2007 और 2012 में विधायक बनीं। हालांकि, 2017 में वे हार गई। 2022 के चुनाव में वे कौशांबी की चायल सीट से सपा की विधायिका हैं।