इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति को निरस्त करने का दिया आदेश, कहा फ्राड और न्याय एक साथ नहीं रह सकते है

कोर्ट ने एसआईटी जांच रिपोर्ट एवं डा भीमराव अंबेडकर विवि आगरा की रिपोर्ट के आधार पर आदेश दिया है. 2005 के बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर कई जिलों में नौकरी कर रहे थे.

Update: 2020-04-30 09:55 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश किया. बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति का मामला में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा फ्राड और न्याय एक साथ नहीं रह सकते है. कोर्ट ने फर्जी डिग्री से हुई नियुक्ति को किया शून्य और अवैध घोषित किया है. कोर्ट ने ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति को निरस्त करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि उन्हें बर्खास्त करने के लिए विभागीय जांच की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने एसआईटी जांच रिपोर्ट एवं डा भीमराव अंबेडकर विवि आगरा की रिपोर्ट के आधार पर आदेश दिया है. 2005 के बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर कई जिलों में नौकरी कर रहे थे.

बेसिक विद्यालयों में नियुक्त सहायक अध्यापकों की बर्खास्तगी को वैध करार दिया है.  कोर्ट ने कहा जिनकी डिग्री सही है, उन्हें बहाल कर वेतन भुगतान किया जाये. कहा सरकार फर्जी अध्यापकों से वसूली करने के लिए दिए गये मानदेय को वसूल करने के लिए स्वतंत्र हैं. सहायक अध्यापिका नीलम चौहान सहित 608 याचिकायें निस्तारित  की गई है. यह आदेश जस्टिस एसपी केशरवानी की एकल पीठ ने दिया है. 

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