उन्नाव रेप: 5 से एक मामले में सुनाया गया फैसला, कुलदीप सेंगर दोषी करार, सह आरोपी महिला हुई बरी
लखनऊ। बीजेपी से निष्कासित कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ अपहरण और रेप के मामले में दिल्ली की एक अदालत सोमवार उन्नाव रेप केस में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराया है. कोर्ट ने सह आरोपी महिला शशि सिंह को बरी कर दिया. शशि सिंह नौकरी दिलाने के बहाने पीड़िता को कुलदीप सेंगर के पास लेकर गई थी, जिसके बाद सेंगर ने पीड़िता का बलात्कार किया. सजा पर बहस 19 दिसंबर को होगी.
तीस हजारी कोर्ट ने जांच एजेंसी सीबीआई को भी फटकारा लगाया. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने अपनी और परिवार की जान बचाने के लिए इस केस को देर से रजिस्टर कराया गया. कोर्ट ने कहा कि हम पीड़िता की मन की व्यथा को समझते हैं. कोर्ट ने कहा कि गैंगरेप वाले केस में सीबीआई ने एक साल चार्जशीट दाखिल करने में क्यों लगाया?
इन धाराओं में दोषी करार
तीस हजारी कोर्ट ने विधायक कुलदीप सेंगर को धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 363 (अपहरण), 366 (शादी के लिए मजबूर करने के लिए एक महिला का अपहरण या उत्पीड़न), 376 (बलात्कार और अन्य संबंधित धाराओं) और POCSO के तहत दोषी ठहराया है.
अभी एक ही मामले में फैसला
इस केस में कुल 5 एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें से एक पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. बाकी में अभी भी सुनवाई इसी कोर्ट में चल रही है, जिसमें पीड़िता के पिता की कस्टडी में हुई मौत, सड़क दुर्घटना में उसके परिवार से मारे गई दो महिला,और पीड़िता के साथ किए गए गैंगरेप और उसके चाचा के खिलाफ कथित रूप से झूठा मामले दर्ज करने से जुड़े मामले शामिल है
अगर सेंगर पर दोष साबित होता है उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुकदमे को लखनऊ से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने के बाद जज ने 5 अगस्त से प्रतिदिन मुकदमे की सुनवाई की थी। उधर, पीड़िता के वकील ने बताया कि अदालत ने अभियोजन पक्ष के 13 गवाहों और बचाव पक्ष के नौ गवाहों के बयान रिकॉर्ड किए।
सेंगर पर महिला को 2017 में नाबालिग रहते हुए कथित रूप से अगवा कर उसके साथ रेप करने का आरोप है। अदालत ने सह-आरोपी शशि सिंह पर भी आरोप तय किए हैं। शशि सिंह पर आरोप है कि वह पीड़िता को सेंगर के पास लेकर गई थी। उत्तर प्रदेश के बांगरमऊ से चार बार बीजेपी के टिकट पर विधायक रहे सेंगर को अगस्त 2019 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
बता दें कि पीड़िता का परिवार एम्स के जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के हॉस्टल में रह रहा है, जबकि अदालत ने दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) को उनके लिए राष्ट्रीय राजधानी में किराए के आवास की व्यवस्था करने को कहा था।