वाराणसी से चुनाव लड़ सकती है प्रियंका गांधी, मोदी को दे सकती है कड़ी टक्कर
अगर प्रियंका गांधी को वाराणसी से चुनाव लड़ना होगा तो यह फैसला बिल्कुल आखिरी वक्त में होगा। पर्चा भरने की आख़िरी तारीख़ को आख़री समय में ही उनका पर्चा दाखिल किया जाएगा।
यूसुफ़ अंसारी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा वाराणसी लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर सकतींं हैंं। प्रियंका गांधी के बेहद भरोसेमंद नज़दीकी सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी ने मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का शुरू से ही मन बनाया हुआ है। बस उनके फैसले को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मंजूरी मिलने की देर है। मंजूरी मिलते ही प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव हराने के लिए वाराणसी में डेरा डालने को तैयार हैं। सूत्रों का कहना है कि राजनीति में क़दम रखते वक्त ही प्रियंका गांधी ने मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का मन बना लिया था।
हालांकि अहमदाबाद में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद यह माना जा रहा था कि इस इस बार प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। लेकिन अपने दो दिन के अमेठी दौरे पर पहुंची प्रियंका गांधी ने लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। अमेठी दौरे के पहले दिन प्रियंका गांधी ने साफ तौर पर कहा उनका चुनाव लड़ना या नहीं लड़ना पार्टी के फैसले पर निर्भर करता है। अगर पार्टी चाहेगी तो वह लोकसभा का चुनाव जरूर लड़ेंगी। अगले दिन प्रियंका गांधी ने अनोखे अंदाज में वाराणसी से चुनाव लड़ने के संकेत दिए। एक कार्यकर्ता ने उससे पूछा कि आप लोकसभा चुनाव लड़ेंगी..? सीधा जवाब देने के बजाय प्रियंका ने कार्यकर्ता से ही पूछ लिया, 'क्या वाराणसी से चुनाव लड़ लूं।' कार्यकर्ताओं की बैठक में प्रियंका गांधी का इस तरह मशवरा करना इस बात का पुख्ता सबूत माना जा रहा है कि वो वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना रही हैंं।
प्रियंका गांधी का कहना यह है कि अगर पार्टी चाहे तो वो लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। वहीं प्रियंका गांधी को महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपने के फैसले का ऐलान करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि लोकसभा का चुनाव लड़ने और अपनी सीट के बारे में प्रियंका गांधी खुद फैसला करेंगी। राहुल और प्रियंका गांधी के इन बयानों से साफ है प्रियंका गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता बंद नहीं है बल्कि पूरी तरह खुला हुआ है। पार्टी में महासचिव बनने और पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद प्रियंका गांधी ने जहां भी दौरा किया है वहां उनके चुनाव लड़ने के बात उठी है। कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक यह प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने के हक़ में हवा बनाने की कोशिश है। अगर प्रियंका गांधी को वाराणसी से चुनाव लड़ना होगा तो यह फैसला बिल्कुल आखिरी वक्त में होगा। पर्चा भरने की आख़िरी तारीख़ को आख़री समय में ही उनका पर्चा दाखिल किया जाएगा।
वैसे भी गांधी नेहरू परिवार में जब कोई राजनीति में उतरता है तो लोकसभा चुनाव लड़कर ही एंट्री मारता है। यह पुराना रिकॉर्ड रहा है। संजय गांधी जब राजनीति में आए थे तो उन्होंने 1977 में अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। यह अलग बात है कि वो अपना पहला चुनाव हार गए थे। अगली बार 1980 में अमेठी से ही लोकसभा चुनाव जीते थे। संजय गांधी की विमान दुर्घटना में असमय मृत्यु के बाद तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी को राजनीति में उतारा तो अमेठी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें चुनाव लड़ा कर लोकसभा भेजा। इसी तरह 1998 में पार्टी की कमान संभालने के बाद सोनिया गांधी ने 1999 में उत्तर प्रदेश की अमेठी और कर्नाटक की बेल्लारी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। 2004 में जब राहुल गांधी ने राजनीति में कदम रखा तो उन्होंने भी अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़कर लोकसभा में एंट्री की थी। लिहाजा इस रिकॉर्ड को देखते हुए माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी।
प्रियंका गांधी के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी अगर वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ती है तो वह नरेश प्रधानमंत्री नरेंद्र को कड़ी टक्कर देंंगी। चुनाव का जो भी नतीजा हो उसकी एक अहमियत होगी। अगर प्रियंका गांधी नरेंद्र मोदी को हरा देतींं है तो पूरे देश का राजनीतिक परिदृश्य बदल जाएगा। अगर वो चुनाव हार जाती हैं तो इससे उनके आने वाले राजनीतिक करियर पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। इससे उन्हें जमीन पर और ज्यादा संघर्ष करने की प्रेरणा प्रेरणा मिलेगी। भारतीय राजनीति का इतिहास गवाह है कि तमाम बड़े नेता अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में चुनाव हारते रहे हैं। इनमें इंदिरा गांधी, संजय गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे तमाम नाम शामिल हैं। बीजेपी के तमाम नेता शुरू से इस बात को मानते हैं कि नरेंद्र मोदी राहुल गांधी पर भले ही भारी पड़ते हो लेकिन अगर उनका मुकाबला प्रियंका गांधी से होगा तो प्रियंका गांधी उन पर भारी पड़ सकती हैं।
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैंं लेकिन अभी वाराणसी सीट पर उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। वैसे भी प्रियंका गांधी के लिए कोई भी सीट कभी भी खाली कराई जा सकती है। कभी भी उम्मीदवार बदला जा सकता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार बदले हैं। मिसाल के तौर पर मुरादाबाद सीट पर पहले राज बब्बर को उतारा गया था।बाद में उन्हें फतेहपुर सीकरी भेज दिया गया और उनकी जगह इमरान प्रतापगढ़ी को मुरादाबाद से उम्मीदवार बना दिया गया। इसी तरह बिजनौर से पहले घोषित किए गए उम्मीदवार को बदलकर बसपा से कांग्रेस में आए दिग्गज नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाया गया है।
हालांकि वाराणसी में कांग्रेस की स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं है। पिछले करीब 30 साल से बीजेपी का मजबूत गढ़ बन चुका है 1991 से 1999 तक बीजेपी लगातार यहां जीती रही है। 2004 में कांग्रेस के राजेश मिश्रा जरूर यहां से जीते थे। लेकिन 2009 में बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी से वो हार गए थे। पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को यहां 5,81,0 22 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय 75,614 वोट लेकर तीसरे नंबर पर सिमट गए थे। आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल करीब 2,09238 वोट लेकर दूसरे नंबर पर आए थे।
अगर प्रियंका गांधी वाराणसी से ताल ठोकतींं हैंं तो फिर यहां के राजनीतिक हालात अलग होंगे। उसी स्थिति में मुख्य मुकाबला मोदी और प्रियंका के बीच होगा।
अगर सपा-बसपा गठबंधन ने इस सीट पर कांग्रेस का समर्थन कर दिया तो मोदी कड़े मुकाबले में चुनाव हार भी सकते हैंं। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां बीएसपी को 60,579 और समाजवादी पार्टी को 45,291वोट मिले थे। अगर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और सपा-बसपा का वोट एक साथ जोड़ दिया जाए तो 3,90,722 हो जाते हैं। इन चारों पार्टियों के वोट मिला कर मोदी की जीत के अंतर से ज्यादा होते हैं।
वाराणसी में करीब सवा तीन लाख बनिया वोटर हैंं। ये बीजेपी के कोर वोटर माने जाते हैं। लेकिन नोटबंदी और जीएसटी की वजह से इनमें गुस्सा है। अगर कांग्रेस इस गुस्से को भुनाने में कामयाब हो जाती है तो एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस की तरफ खिसक सकता है। वहींं ब्राह्मण मतदाताओं की तादाद करीब ढाई लाख है। विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने में सबसे ज्यादा ब्राह्मणों के घर ही टूटे हैंं। एससी-एसटी संशोधन विधेयक बिल को लेकर भी इनमें नाराजगी है। प्रियंका गांधी के मैदान में उतरने से 300000 मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिलना पक्का हो जाएगा। आमतौर पर मुसलमान उसी पार्टी को वोट देता है जो बीजेपी को हराने की ताकत दिखाए। वाराणसी में करीब डेढ़ लाख यादव मतदाता हैंं। माना जाता है कि ये बीजेपी को ही वोट देते हैं। अगर प्रियंका गांधी चुनाव मैदान में होंगी और समाजवादी पार्टी उनका समर्थन करेगी तो यादव वोटों का का बड़ा हिस्सा प्रियंका गांधी के खाते में आ सकता है।
हालांकि प्रियंका गांधी के हक में तमाम विपक्षी दलों की एकजुटता के बावजूद मोदी की जीत की संभावनाएं ज्यादा होंंगी। प्रियंका गांधी इस सीट पर उन्हें कड़ी टक्कर देंंगी। इसमें कोई संदेह नहीं है। हार जीत का फैसला तो वोटों की गिनती के बाद होगा लेकिन प्रियंका गांधी यहां चुनाव मैदान में उतरकर एक बड़ा संदेश दे सकती हैंं। ऐसा होने पर दुनिया भर के मीडिया की निगाहें इस सीट पर होंगी। प्रियंका गांधी मोदी से किस तरह टकराती है यह देखने वाली बात होगी। प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने से देशभर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ेगा। प्रियंका गांधी ने तो इशारा कर दिया है कि वह लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। वाराणसी से भी लड़ सकती हैंं। अब फैसला राहुल गांधी को करना है।