कांग्रेस का बड़ा ऐलान, जब चाहें गिरा सकते है सरकार!
मोदी कैबिनेट 3.0 के शपथ ग्रहण और पोर्टफोलियो बंटवारे के बाद अब स्पीकर को लेकर बहस तेज हो गयी है।
मोदी कैबिनेट 3.0 के शपथ ग्रहण और पोर्टफोलियो बंटवारे के बाद अब स्पीकर को लेकर बहस तेज हो गयी है। 24 जून से संसद का बजट सत्र शुरू होने वाला है और इससे पहले लोकसभा स्पीकर का चुना जाना बेहद महत्वपूर्ण है। स्पीकर की महत्ता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और गैर भाजपा दलों के नेताओं के समर्थन के बावजूद लोकसभा में विश्वास मत हारने के बाद सरकार गिर गई थी. सिर्फ एक वोट से वाजपेयी सरकार के भाग्य का फैसला हो गया और लोकसभा अध्यक्ष की शक्ति का पता चल गया. यह स्पीकर का वोट नहीं था, बल्कि उनका निर्णय था जिसके कारण सरकार गिर गई.