सोशल मीडिया का मशहूर चेहरा तुषार सिलावट कैसे बने इंफ्लुएंसर? यहाँ पढ़ें

एक समय था जब लोग अपने बच्चों को सफलता की परिभाषा बताते थे और उन्हें सोशल मीडिया से दूर रहने की हिदायत देते थे

Update: 2023-06-11 13:46 GMT

एक समय था जब लोग अपने बच्चों को सफलता की परिभाषा बताते थे और उन्हें सोशल मीडिया से दूर रहने की हिदायत देते थे। क्योंकि, उनका मानना ​​था कि सोशल मीडिया केवल दिमाग को भटकाता है और आपका कीमती समय बर्बाद करता है। लेकिन वैश्वीकरण के बाद सोशल मीडिया के प्रति लोगों का नजरिया काफी हद तक बदल गया है। अगर जुनून और जज्बा एक ही दिशा में काम करें तो दुनिया के किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है, इसका जीता जागता उदाहरण खुद मशहूर सोशल मीडिया क्रिएटर और इंफ्लुएंसर तुषार सिलावट हैं।

मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मे तुषार को पढ़ाई के अलावा कुछ क्रिएटिव चीजें करने में मजा आता था। साल 2016 में उन्होंने अपना इंस्टाग्राम अकाउंट बनाया और फिर कभी-कभार रील शेयर कर लोगों का मनोरंजन करने लगे। हालांकि शुरुआत में तुषार को कुछ खास तवज्जो नहीं मिली, फिर भी वे निराश नहीं हुए।

तुषार बताते हैं कि, 'शुरुआती दौर हर इंसान के लिए मुश्किल होता है। सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को लोग दोयम दर्जे की नजर से देखते थे, मैं भी ऐसे ही मुश्किल दौर से गुजरा हूं. आज तुषार के इंस्टाग्राम पर 4.8 मिलियन और यूट्यूब पर 8 लाख फॉलोअर्स हैं

जबकि 2017 में तुषार ने टिकटॉक वीडियो बनाना शुरू किया। टिकटॉक पर उनके खास अंदाज की वजह से एक साल के अंदर ही उनके 50 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हो गए। लेकिन एक दिन ऐसा भी आया जब जाने-अनजाने तुषार ने एक वीडियो को लेकर टिकटॉक पॉलिसी का उल्लंघन कर दिया, जिसके चलते उनका टिकटॉक अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया। आज तुषार उस समय को याद करते हैं और सोचते हैं कि वह समय उनके लिए कितना कठिन था।

इसके बाद उन्होंने अपने वीडियो ब्लॉग से इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर धमाल मचा दिया। और साल 2020 में उन्होंने मशहूर कलाकार निशा गुरगेन के साथ 'तुझको खबर' नाम का म्यूजिकल एल्बम किया। कहा जाता है कि यहीं से तुषार की जिंदगी ने करवट ली। इसके बाद उन्होंने कई असाइनमेंट पर काम किया। आज वह समय है जब सोशल मीडिया के दीवाने तुषार सिलावट को अपना आदर्श मानते हैं।एक समय था जब लोग अपने बच्चों को सफलता की परिभाषा बताते थे और उन्हें सोशल मीडिया से दूर रहने की हिदायत देते थे। क्योंकि, उनका मानना ​​था कि सोशल मीडिया केवल दिमाग को भटकाता है और आपका कीमती समय बर्बाद करता है। लेकिन वैश्वीकरण के बाद सोशल मीडिया के प्रति लोगों का नजरिया काफी हद तक बदल गया है।

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